बालोद

यहां है सूखे की स्थिति, मात्र 10 फीसदी ही बियासी का हुआ काम

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र डौंडी में 15 दिनों से बादल छाने के बाद अवर्षा की स्थिति है। खरीफ फसल के कृषकों की चिंता बढ़ गई है। अवर्षा के कारण बियासी पिछड़ गया है।

बालोदAug 13, 2019 / 11:47 pm

Chandra Kishor Deshmukh

यहां है सूखे की स्थिति, मात्र 10 फीसदी ही बियासी का हुआ काम

बालोद/डौंडी @ patrika. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र डौंडी में 15 दिनों से बादल छाने के बाद अवर्षा की स्थिति है। खरीफ फसल के कृषकों की चिंता बढ़ गई है। अवर्षा के कारण बियासी पिछड़ गया है।
सिर्फ हो रही रिमझिम बारिश
राजस्व व कृषि विभाग की टीम स्थिति का सर्वे करने में जुट गई है। आकलन कर वास्तविक रिपोर्ट उच्च विभाग को दी जाएगी। शासन की ओर से सूखे की स्थिति एवं बीमा कंपनी (Insurance company) की ओर से किसानों को मिलेगा लाभ। गौरतलब है कि एक ओर छत्तीसगढ़ के बस्तर सहित अन्य जिलों में बारिश हो रही है। वहीं बालोद जिला के आदिवासी ब्लॉक डौंडी में 15 दिनों से सिर्फ रिमझिम बारिश ही हो रही है।
1 अगस्त तक हुई थी केवल 182 मिमी बारिश
इस वर्ष की बारिश को स्थानीय कृषि विभाग ने पिछले वर्ष की तुलना में 210 एमएम कम वर्षा रिकार्ड दर्ज किया है। विभाग के अनुसार पिछले वर्ष एक अगस्त तक 392 एमएम वर्षा रिकार्ड दर्ज किया गया था। जबकि 1 अगस्त तक इस वर्ष केवल 182 एमएम वर्षा डौंडी क्षेत्र में दर्ज की गई।
जिले में अब तक 446 मिलीमीटर वर्षा दर्ज
जिले में चालू मानसून सत्र के दौरान एक जून से आज 13 अगस्त तक 446.2 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई। बालोद तहसील में अब तक 560.5 मिलीमीटर, गुरुर में 532.4 मिमी, गुंडरदेही में 439.3 मिमी, डौंडी तहसील में 285.1 मिमी व डौंडीलोहारा तहसील में 413.7 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई।
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5 से 10 फीसदी ही हुआ बियासी का काम
विभाग का मानना है कि अभी इस वर्ष इस क्षेत्र में अवर्षा की स्थिति है। यहां केवल 5 से 10 फीसदी बियासी काम हो पाया है। ग्रामीण क्षेत्रों के कृषि अधिकारी व राजस्व अमला टीम के साथ चौपाल कार्यक्रम आयोजित कर सर्वे कार्य किया जा रहा है। जिसकी रिपोर्ट आ जाने पर वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। विभाग का कहना है कि आगामी दिनों में बारिश का यही हाल रहा तो सूखे की स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता। पर्याप्त बारिश होने पर ही कृषि कार्यों से किसानों को राहत मिल पाएगी। फिलहाल किसानों को असिंचित व सिंचित भूमि पर क्रमश: 720 रुपए प्रति हेक्टेयर बीमा पर 36 हजार व 900 रुपए पर 45 हजार प्रति हेक्टेयर बीमा राशि का लाभ प्रति वर्ष दिए जाने का प्रावधान है। वहीं दलहन-तिलहन पर 370 रुपए प्रति हेक्टेयर में 18,500 वन टाइम बीमा का लाभ दिया जाता है।
एक नजर डौंडी ब्लॉक के किसानों की संख्या पर
आदिवासी ब्लॉक डौंडी में 25 हजार खरीफ रकबा रिकार्ड है। जहां कुल करीब 19,500 किसान है। जिनमें असिंचित रकबा 21 हजार और सिंचित रकबा चार हजार के आसपास है। क्षेत्र में करीब 1290 ट्यूबवेल्स है। जहां जलस्तर के कारण पर्याप्त पानी नहीं निकल पा रहा है। वहीं कुछ जगहों पर डेम और नहरों का साधन भी है किंतु इससे किसानों को किसी प्रकार से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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तालाबों में पानी भरा नही, निस्तारी की हो सकती है समस्या
इस वर्ष क्षेत्र के खेतों में ही पानी भरा तब तालाबों की स्थिति साफ समझी जा सकती है। इसे लेकर लोग अभी से चिंतित है। तालाबों में पानी नहीं भरने से आगामी दिनों और गर्मी में निस्तारी की गंभीर समस्या हो सकती है। साथ ही मौसमी बीमारी से भी लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।
इंद्रदेव मेहरबान नहीं हुए
अवर्षा से त्रस्त डौंडी के किसानों ने अच्छी बारिश के लिए पिछले बुधवार को नगर के शीतला मंदिर में महायज्ञ किया था। इसके बाद भी इंद्र देवता की कृपादृष्टि नहीं बन पाई है। जबकि छत्तीसगढ़ के बस्तर सहित अन्य जिलों में पानी तबाही मचा रहा है।
पिछले साल की तुलना में इस बार आधी बारिश भी नहीं हुई
कृषि विस्तार अधिकारी बीएल रात्रे ने कहा डौंडी क्षेत्र में अब तक हुई बारिश को बहुत अच्छी तो नहीं कही जा सकती है। चूँकि पिछले वर्ष की अवधि को देखते हुए इस वर्ष की बारिश रिकार्ड में आधी भी नहीं है। शासन के आदेशानुसार राजस्व विभाग के साथ कृषि विभाग की टीम अभी सर्वे कार्य कर रही है। रिपोर्ट आने के बाद शासन को भेजी जाएगी।
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