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बालोद : गौरैयाधाम को पर्यटन स्थल बनाने घोषणा की, लेकिन सूची में नाम तक शामिल नहीं

गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम चौरेल स्थित धार्मिक व पुरातात्विक 9वीं से 11वीं शताब्दी के प्राचीन गौरैया शक्तिपीठ धाम को शासन ने पर्यटन स्थल घोषित कर दिया, लेकिन पर्यटन सूची में नाम तक नहीं जोड़ पाए।

बालोदFeb 25, 2021 / 11:16 pm

Chandra Kishor Deshmukh

बालोद : गौरैयाधाम को पर्यटन स्थल बनाने घोषणा की, लेकिन सूची में नाम तक शामिल नहीं

बालोद : गौरैयाधाम को पर्यटन स्थल बनाने घोषणा की, लेकिन सूची में नाम तक शामिल नहीं

बालोद. गुंडरदेही विकासखंड के ग्राम चौरेल स्थित धार्मिक व पुरातात्विक 9वीं से 11वीं शताब्दी के प्राचीन गौरैया शक्तिपीठ धाम को शासन ने पर्यटन स्थल घोषित कर दिया, लेकिन पर्यटन सूची में नाम तक नहीं जोड़ पाए। मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने शासन की ओर से गौरैयाधाम की उपेक्षा का आरोप लगाया है। साथ ही इसे पुरात्विक व धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग की। उनका कहना है कि मंत्री, नेता सभी आते हैं, लेकिन घोषणा करने के बाद भूल जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश का गौरव स्थल बताया था
दो साल पहले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां आए थे। इसे प्रदेश का ऐतिहासिक गौरव स्थल बताया था। नदी में घाट निर्माण कराने की घोषणा की, जो आज तक पूरी नहीं हुई। हालांकि शासन मेला व्यवस्था के लिए आर्थिक सहयोग देता है। लेकिन शासन प्रशासन की घोषणा व कार्य धीमी गति से चल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी पर्यटन स्थल की घोषणा की थी, लेकिन छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों की सूची से इस जगह का नाम ही गायब है।

2013 में निकली थी भगवान बुद्ध की मूर्ति
इतिहास के जानकार अरमान अश्क ने बताया कि यह जगह ऐतिहासिक है। आज भी गौरैया धाम अनसुलझा है। यहां 2013 में बावड़ी की खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की एक धातु से बनी लगभग दो फीट की प्रतिमा निकली थी। यहां एक विशालकाय पत्थर है, जिसमें कुछ लिखा हुआ है। उसे भी पुरातत्व विभाग सुलझा नहीं पाया। गांव से कुछ दूर ही एक प्रचीनकाल का सीढ़ी नुमा स्थल है, जो तालाब में डूबा है। इसके अलावा 70 साल पहले खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में एक मटके में धातु के सिक्के निकले थे, जो मंदिर में रखे हैं। आज भी इस मंदिर परिसर के आसपास की खुदाई करने पर मूर्तियां मिलती हैं। हालांकि पुरातत्व विभाग ने क्षेत्र की खुदाई पर प्रतिबंध लगा दिया है।

बुद्ध व पत्थर का शिलालेख शोध का विषय
भगवान बुद्ध की प्रतिमा व पत्थर पर लिखे शिलालेख का शोध करने शासन ने ध्यान नहीं दिया है। इन पत्थरों में लिखे शब्दों व बुद्ध की प्रतिमा पर शोध किया जाए तो गौरैया धाम से जुड़ी और कई बातें सामने आ सकती हैं।

प्राचीन शिव मंदिर व 151 पत्थरों पर बनी प्रतिमा आकर्षण का केंद्र
गौरैया धाम परिसर में कई वर्षों से प्राचीन पत्थरों पर बनी प्रतिमा रखी हुई हैं, जिसकी संख्या 151 है। सभी पत्थरों में एक चन्द्र, सूर्य व एक हाथ बना है। पुरातत्व विभाग के मुताबिक यह प्रतिमा व पत्थर 9वी से 11वीं शताब्दी की है। यह राजा चौरस का चौरस गढ़ था, उन्हीं के राज्य में बनाई प्रतिमा है। यहां प्राचीन शिव मंदिर भी है। बताया जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से मांगते हैं, मुरादें पूरी हुई हैं।

ये बड़े नेता पहुंच चुके हैं गौरैया धाम
समिति के अध्यक्ष के मुताबिक 1971 में अविभाजित मध्यप्रदेश शासनकाल के मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी आ चुके है। छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी यहां आ चुके हैं। सभी ने क्षेत्र को ऐतिहासिक बताया। लेकिन उसे जरूरत के हिसाब से पहचान नहीं मिली।

प्राथमिकता संग्रहालय का निर्माण कराना
संसदीय सचिव व गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद ने कहा कि भूपेश सरकार गौरैया धाम को विकसित करने सहयोग कर रही है। हमारा मकसद है यहां की दुर्लभ प्रतिमाओं को सुरक्षित व संरक्षित रखने संग्रहालय का निर्माण करना है। पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करना है। घाट व सड़क का निर्माण भी हो जाएगा। जल्द ही धार्मिक व पुरातात्विक क्षेत्र को प्रदेश में नई पहचान मिलेगी।

तीन दिन लगेगा मेला
मंदिर समिति के मुताबिक गुरुवार से गौरैयाधाम में माघी पुन्नी मेला का आयोजन किया जाएगा। मेला 27 फरवरी तक चलेगा। 26 फरवरी को माघी पुन्नी पर श्रद्धालु त्रिवेणी संगम तांदुला नदी में स्नान करेंगे। इन तीन दिनों में विविध आयोजन भी होंगे। मंदिर ट्रस्ट व प्रशासन ने इसकी तैयारी भी कर ली है।

आज भी उपेक्षित है यह ऐतिहासिक स्थल
गौरैया शक्तिपीठ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष व ग्राम पंचायत चौरेल के सरपंच लवण चंद्राकर ने बताया कि हर साल माघी पुन्नी मेला उत्सव में मंत्री व नेता आते हंै। घोषणाएं भी करते हैं, जो सिर्फ कागजों तक सीमित है। इतने बड़े ऐतिहासिक धार्मिक व पुरातात्विक स्थल के प्रति न शासन ध्यान दे रहा है, न प्रशासन। हम मंदिर समिति व ग्रामीणों की मांग है कि यह स्थल को शासन के पर्यटन स्थलों की सूची में स्थान मिले व यहां का विकास हो।

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