पीडि़ता ने ग्रामीणों व महिला बाल विकास समिति से जांच में आए कर्मचारी के समक्ष प्राथमिक शाला के शिक्षक गणेश गायकवाड़ का नाम लिया। इसके बाद शिक्षक को भी बैठक में बुलाकर ग्रामीणों ने पूछताछ की। शिक्षक ने बिना ठोस प्रमाण के शिशु को अपना मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से महिला बाल विकास विभाग के जांचकर्ता को लिखित बयान देकर विधवा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक को गांव के स्कूल से अन्यत्र हटाने की मांग की है।
गांव की तीन महिलाओं से भी शिक्षक ने किया था खिलवाड़
ग्रामीणों ने बताया कि यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले इस शिक्षक स्कूल की प्यून महिला को ब्लैकमेल कर रहा था। मामला थाने पहुंचा तो शिक्षक ने ग्रामीणों को बहला फुसलाकर मामले को थाने में ही रफादफा करवा दिया। इस मामले के बाद महिला प्यून की नौकरी चली गई। इसी तरह इस शिक्षक ने गांव की एक कुंवारी लड़की को प्रेग्नेंट कर दिया था। ग्रामीणों के दबाव के कारण उसने उक्त लड़की को अपना लिया। जिसके बाद मामला शांत हो गया। तीसरी घटना ने गांव वालों की आंखें खोल दी है। ग्रामीणों ने शिक्षक को हटाने और थाने में शिकायत की बात कही है।
ग्रामीणों की बैठक में शिशु के पिता होने के शिक्षक ने इनकार कर दिया है। इस मामले की थाने की शिकायत और डीएनए टेस्ट से शिशु के पिता का खुलासा हो सकता है। ग्रामीणों ने विधवा महिला को न्याय दिलाने डीएनए का टेस्ट कराकर शिशु के पिता का पता लगाने की मांग की है। वहीं आरोपी के खिलाफ थाने के अलावा न्यायालय में भरण-पोषण के लिए याचिका लगाने और राज्य महिला आयोग से शिकायत किए जाने की जानकारी दी है।