ऐसे गरीब जो पात्र हितग्राही होते हुए भी इस योजना के लाभ से वंचित है। इसका प्रमुख कारण गांवों में आबादी और घास जमीन नहीं होना बताया जा रहा है। यही कारण है कि पात्र होते हुए भी ऐसे भूमिहीन हितग्राहियों का अपना मकान का सपना पूरा नहीं हो रहा है।
बात दें कि जिले में पिछले तीन साल में कुल 254 हितग्राहियों का चयन प्रधानमंत्री आवास के लिए हुआ था। पिछले साल जिला प्रशासन और जिला पंचायत सीईओ ने राजस्व अमले के साथ गांव जाकर पंचायत स्तर पर चर्चा कर 213 हितग्राहियों को पंचायत से जमीन दिलाई गई। जिसमें से 146 हितग्राहियों का प्रधानमंत्री आवास बन गया है और 41 हितग्राही बचे हुए हैं।
शासन द्वारा वर्ष 2019-20 के लिए जिले में सात हजार गरीब परिवारों को आवास देने की स्वीकृति मिली है। हितग्राहियों के खाते में बारी-बारी से राशि भी जमा होने लगी है।
जानकारी के मुताबिक जिले में अभी भी 41 हितग्राही बचे हंै जिन्हें बारिश में परेशानी हो रही है। ऐसे लोग बारिश से बचने छप्परनुमा झोपडिय़ों में रहने को मजबूर है। कई ग्राम पंचायत में आबादी देने लायक जगह भी नहीं बची है। कुछ ग्राम पंचायत ऐसे है जो गरीब हितग्राहियों को जगह देने की मंशा तो रखते हैं किंतु गांव के कुछ लोग आपत्ति लगा देते है। ऐसे लोगों का कहना होता है कि उसे जमीन दे रहे हो तो हमें भी दो।
कई हितग्राही ऐसे है जो गांव में अतिक्रमण कर सालों से कच्चे मकान में रह रहे और ज्यादा जगह घेर लिए हैं। पंचायत द्वारा जहां पर उसे जगह दी जा रही वहां वे जाना नहीं चाहते। वहीं अतिक्रमण करने वाले ग्रामीण अतिरिक्त जमीन को छोडऩा नहीं चाहते और ना ही पंचायत जमीन खाली करा पा रहा है।
1050 बालोद ब्लॉक में, 1390 गुरुर ब्लॉक में, 1510 गुंडरदेही ब्लॉक में, 1250 डौंडी ब्लॉक में, 1800 डौंडीलोहारा ब्लॉक में। राजस्व विभाग से करेंगे चर्चा
जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने बताया कि इस मामले की जानकारी मिली है। जिन हितग्राहियों के पास जमीन नहीं है उन्हें जगह दिलाने प्रयास किया जाएगा। राजस्व विभाग की टीम से मिलकर इस पर चर्चा की जाएगी।