विदित हो कि बीते दो सालों के दौरान बलौदाबाजार के मुख्य मार्ग सहित रायपुर रोड, कसडोल रोड, भाटापारा रोड का चौड़ीकरण किया गया है। चौड़ीकरण के बाद एक ओर जहां लोगों को चौड़ी सडक़ों का लाभ मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर चौड़ीकरण के नाम पर मनमाने ढंग से 20-25 वर्ष पुराने हरे-भरे वृक्षों की कटाई की गई है। सडक़ किनारे के हरे-भरे वृक्षों को काटे जाने की वजह से इस वर्ष की ग्रीष्म ऋ तु में लोगों को सडक़ किनारे के वृक्षों का महत्व पता चला है। नगर के मुख्य मार्ग समेत बलौदाबाजार से तीन किमी के चारों ओर के किसी मार्ग पर भी सडक़ किनारे बड़ा वृक्ष नहीं बचा है। इससे भीषण गर्मी के दिनों में लोगों को पेड़ की छांव तक नसीब नहीं हो रही है।
जानकारी के अनुसार पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए एक ओर जहां बीते दस सालों में रोपे गए हजारों पौधों में से 5 फीसदी पौधे भी जीवित नहीं बचे हैं। वहीं दूसरी ओर सडक़ चौड़ीकरण के नाम पर बीते दो सालों के दौरान 2 हजार से अधिक हरे-भरे वृक्षों की बली चढ़ाई गई है। नियमानुसार किसी भी वृक्ष को काटे जाने के पूर्व काटने वाले वृक्षों की दोगुनी संख्या के पौधों का पहले रोपण किया जाना चाहिए। लेकिन बीते दो सालों में सडक़ चौड़ीकरण के नाम पर काटे गए वृक्षों के स्थान पर आज तक एक भी पौधे नहीं लगाए गए हैं। नौतपा के बाद आगामी 15 जून से मानसून आने के साथ ही बरसात का सीजन प्रारंभ हो जाएगा। बीते वर्षों में काटे गए पौधों के स्थान पर हजारों पौधों का रोपण और उन्हें आगामी वर्षों तक के लिए सहेजकर रखने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही साथ स्थानीय नगर पालिका को भी योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना बेहद आवश्यक है।
वहां आज पूरा मैदान सूखा पड़ा हुआ है। प्रशासन ने पौधों को लगाए जाने के बाद कभी भी उनकी सुरक्षा के बारे में ध्यान नहीं दिया था। पौधों की सुरक्षा में ट्री गार्ड, सिंचाई आदि की भी व्यवस्था नहीं की गई। 90 फीसदी पौधरोपण के सप्ताह भर बाद ही नष्ट हो गए।