गौरतलब है कि सीआरपीएफ की १२वीं बटालियन में पदस्थ चालक रंजीत सिंह का 13 वर्षीय पुत्र सुमन सिंह सरस्वती शिशु मंदिर के कक्षा 9वीं का छात्र था। वह 2 नवंबर को अपने पिता के साथ रिश्तेदार को सुबह लगभग 4 बजे बस स्टैंड छोडऩे गया था। यहां वापसी के दौरान थाने के समीप आवारा कुत्ते ने बालक के हाथ के अंगूठे में काट दिया।
इसके बाद परिजन ने उसका इलाज बस स्टैंड में ही स्थित एक झोलाछाप डॉक्टर से कराया, कुछ दिनों बाद बालक की स्थिति बिगडऩे लगी व उसे रायपुर के मेकाहारा अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी, यहां भी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया।
इसके बाद ऑक्सीजन लगाकर परिजन बालक को रामानुजगंज लाए और यहां से गृहग्राम बिहार के कोचस ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही सुमन ने दम तोड़ दिया। उसका अंतिम संस्कार कोचस में ही किया गया। इस हादसे से मृतक के परिजन सदमे में हैं, उनका रो-रोकर बुरा हाल है। बटालियन परिसर में भी शोक का माहौल है।
…तो बच सकती थी जान
लोगों का कहना है कि अगर झोलाछाप से इलाज न कराकर अस्पताल के चिकित्सक से बालक का उपचार होता तो उसकी जान बच जाती। बालक पढऩे में भी काफी होनहार था। उसके मौत की सूचना मिलने पर स्कूल मेें भी श्रद्धांजलि देकर छुट्टी कर दी गई।