इन पार्टियों से हैं रिश्ते मजबूत
राजा भैया ने 1993 में राजनीति में कदम रखा। तब से लेकर 2017 तक उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कुंडा विधानसभा सीट से लगातार चुनाव जीता है। हालांकि राजा भैया का भाजपा और सपा से उनके नजदीकी रिश्ते रहे हैं, लेकिन कभी किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए। वह कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व में कैबिनेट मंत्री रहे। भाजपा और सपा दोनों दलों में राजा की दखल वाली सीटों पर प्रत्याशियों का चयन भी होता रहा है।
चर्चा यह भी है कि राजा भैया द्वारा बनाई जा रही नई पार्टी के पीछे भाजपा का भी हाथ हो सकता है। राजा भैया राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। मौजूदा समय में भाजपा को आड़े हाथों लेना उनके लिए हितकर साबित नहीं हो। ऐसे में नई पार्टी का गठन कर जहां भाजपा से नाराज वोटबैंक को थाम कर सकते हैं। वहीं ऐसे नेताओं को भी लामबंद कर सकते हैं जो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से नाराज चल रहे हैं। चुनाव के बाद वह प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के साथ जा सकते हैं। भाजपा की पूरी कार्य योजना सपा-बसपा के महागठबंधन की काट के लिए चल रही है। ऐसे में राजा भैया की पार्टी से मैदान में उतरे प्रत्याशी कई सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की राह आसान कर सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो राजा भइया के करीबी कैलाशनाथ ओझा ने चुनाव आयोग के पास नई पार्टी के पंजीकरण के लिए आावेदन भी किया है। माना जा रहा है कि रघुराज प्रताप सिंह अपनी पार्टी का गठन करके लोकसभा चुनाव 2019 में अपने उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं। राजा भैया के कई उत्साही समर्थक नवगठित पार्टी के नाम के साथ उनकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं।