मनरेगा रोजगार परक महत्वाकांक्षी योजना है। जिसके जरिए गांव के लोगों को गांव में ही रोजगार दिया जाता है। इसमें सौ दिन के रोजगार देने की गारंटी भी है। योजना से जहां श्रमिकों की रोजी रोटी चलती है, वहीं गांव में विकास कार्यो के साथ परिसंपत्तियों का सृजन भी होता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए करीब एक अरब 45 करोड़ के श्रम बजट को मंजूरी दी गई है। साल में कई लाख मानव दिवस सृजित किए जाने हैं। वित्तीय साल के तीन माह बीत गए और करीब 90 दिनो में 7 लाख 53 हजार मानव दिवस सृजित किए जा चुक हैं। इनमें 3 लाख 53 हजार महिलाएं शामिल हैं। जो करीब 50 प्रतिशत है। यानी वित्तीय साल के शुरूआती तीन महीनों में महिलाओं ने रोजगार के लिए श्रम में पुरुषों की बराबरी की है।
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250 मिनट में पूरा हुआ काशी का सफर, कानपुर-वाराणसी सिक्स लेन का स्पीड ट्रायल सफल 23 परिवारों को मिला सौ दिन का रोजगार मनरेगा योजना में जाबकार्ड धारक परिवारों को सौ दिन के कम देने की गारंटी है। विभागीय जानकारी के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में अब तक जिले में 23 परिवारों को सौ दिन का रोजगार मिला है।
50 फीसदी महिलाएं शामिल मनरेगा उपायुक्त राघवेन्द्र तिवारी के अनुसार जिले में मनरेगा योजना में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर है। तीन माह में जो मानव दिवस सृजित हुए हैं उनमें 50 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। कार्य क्षेत्र में महिला श्रमिकों को मिलने वाली सुविधाओं को उन तक पहुंचाने का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।