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बैंगलोर

पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव मिशन भेजना ही लक्ष्य नहीं

सतत मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए इसरो ने मांगे प्रस्ताव, 18 प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए सुझाव आमंत्रित

बैंगलोरApr 30, 2020 / 12:33 pm

Rajeev Mishra

पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव मिशन भेजना ही लक्ष्य नहीं

पृथ्वी की निचली कक्षा में मानव मिशन भेजना ही लक्ष्य नहीं

बेंगलूरु.
कोरोना महामारी के कारण जहां देशव्यवापी लॉकडाउन है और लोग खुद को अपने-अपने घरों तक सीमित रख रहे हैं वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष में मानव जीवन की संभावनाएं तलाश रहा है। दरअसल, इसरो ने मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों और अंतरिक्ष अन्वेषण संबंधी स्वदेशी तकनीक के विकास के लिए प्रस्ताव मांगे हैं।
यह तकनीक देश के पहले महात्वाकांक्षी मानव मिशन ‘गगनयान’ के साथ-साथ भविष्य के मानव मिशनों के लिए भी जरूरी हैं। इसरो को उम्मीद है कि गगनयान मिशन मानव मात्र के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और सतत मानव मिशन का मार्ग प्रशस्त करने के साथ ही राष्ट्रीय विकास में भी योगदान करेगा। हालांकि, इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए अभी क्षमता निर्माण की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम निदेशालय ने 18 संभावित प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। देश का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ 2022 में प्रक्षेपित किया जाना है। इसके लिए रूस में वायुसेना के चार टेस्ट पायलटों का प्रशिक्षण भी चल रहा है।
इन 18 प्रौद्योगिकियों का विकास जरूरी
इसरो ने जिन 18 प्रौद्योगिकी विकास क्षेत्रों का जिक्र किया है वे हैं, विकिरण खतरों के लक्षण और उसके शमन के तरीके, अंतरिक्ष भोजन और उससे संबंधित प्रौद्योगिकियां, इनफ्लेटेबल आवास प्रौद्योगिकी, मानव रोबोटिक इंटरफेस, तापीय सुरक्षा प्रणाली, पर्यावरण नियंत्रक एवं लाइफ सपोर्ट सिस्टम, ग्रीन पोपुलेशन, एडवांस्ड मैटेरियल (उन्नत पदार्थ), कचरा प्रबंधन और उसमें कमी करना, ऊर्जा का उपयोग और उसका बचाव, अंतरिक्ष में 3-डी विनिर्माण प्रौद्योगिकी, द्रव प्रौद्योगिकी और उसका प्रबंधन, स्पेस बायोइंजीनियरिंग, बायो एस्ट्रोनॉटिक्स, लंबी अवधि के मिशनों के लिए मानवीय मनोविज्ञान, कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण प्रौद्योगिकियां, स्पेस मेडिसिन और मानव अंतरिक्ष मिशन से जुड़ी अन्य प्रौद्योगिकियां आदि।
किफायती एवं स्वदेशी तकनीक की जरूरत
देश के सभी शैक्षणिक और शोध संस्थानों का आह्वान करते हुए इसरो ने कहा है ‘अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए पृथ्वी की निचली कक्षाओं में और उससे आगे भी मानव के जीवित रहने में मददगार किफायती एवं स्वदेशी अत्याधुनिक तकनीकों के विकास के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान, अकादमिक संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित हैं।Ó इसरो ने अवसर की घोषणा (एओ) करते हुए कहा है कि प्रस्ताव का मुख्य अन्वेषक आवश्यक जानकारी दे और तकनीक के इस्तेमाल के बारे में बताए। अथवा, मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐसे समाधान मुहैया कराए जो स्वदेशी एवं किफायती हो। यह अंतरिक्ष में भेजे जाने योग्य पेलोड विकसित करने की क्षमता भी रखता हो। उचित प्रस्तावों के चयन के लिए इसरो एक समिति गठित करेगा। प्रस्तावों को दाखिल करने के लिए 15 जुलाई अंतिम तिथि तय की गई है।
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