बेंगलूरु. मंड्या जिले के पांडवपुरा में साध्वी डॉ. कुमुदलता आदि ठाणा 4 के सान्निध्य मंगलवार को स्थानक के लिए भूमि पूजन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर अनेक शहरों बेंगलूरु, मैसूरु, मंड्या, श्रीरंगपट्टण, चेन्नई, पांडवपुरा के श्रावकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। भूमि पूजन का लाभ कल्याणसिंह, राजकुमार, प्रकाश बुरड़ परिवार बेंगलूरु और शिलान्यास का पुखराज, शांतिलाल, पारसमल, मुकेशकुमार, सौरभ जैन बेंगलूरु ने लाभ लिया। उद्घाटन रणजीतमल, जितेंद्रकुमार,आगमकुमार कानूगंा एवं ध्वजारोहणकर्ता मरुधर केसरी जैन सेवा समिति मैसूरु द्वारा किया गया। झंडारोहण पांडवपुरा पुलिस इन्स्पेक्टर एवं राजकीय अतिथि विधायक सी.एस.पुट्टराजू ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विजयराज, उम्मेदराज रांका मैसूरु वालों ने की। इस भवन का नाम दिवाकर कमला भवन रखा जाएगा। लिफ्ट का लाभ बाबूलाल रांका बेंगलूरु वालों ने लिया। कार्यक्रम को पांडवपुरा की युवा शाखा और श्रीसंघ ने तन,मन,धन देकर सफल एवं सार्थक बनाया। साध्वी डॉ. महाप्रज्ञा ने गीतिका प्रस्तुत की और साध्वी डॉ. पदमकीर्ति ने कमला भवन की पाश्र्व भूमि को वास्तु से भूमि पूजन के बारे में समझाया।
साध्वी ने भूमि पूजन की विशेषता बताते हुए कहा कि भूमि को समस्त जगत जननी, जगत की पालक माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्मग्रंथों में धरती को मां का दर्जा भी दिया गया है। भूमि यानि धरती से हमें क्या मिलता है यह सभी जानते हैं रहने को घर, खाने को अन्न, नदियां, झरने, गलियां, सडक़ें सब धरती के सीने से तो गुजरते हैं। इसलिए तो शास्त्रों में भूमि पर किसी भी कार्य को चाहे वह घर बनाने का हो या फिर सार्वजनिक इमारतों या धर्म स्थानकों, मार्गों का, निर्माण से पहले भूमि पूजन का विधान है। माना जाता है कि भूमि पूजन न करने से निर्माण कार्य में कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होती हैं। कई बार जब कोई व्यक्ति भूमि खरीदता है तो हो सकता है, उक्त जमीन के पूर्व मालिक के गलत कृत्यों से भूमि अपवित्र हुई हो इसलिए भूमि पूजन द्वारा इसे फिर से पवित्र किया जाता है। मान्यता है कि भूमि पूजन करवाने से निर्माण कार्य सुचारू ढंग से पूरा होता है। निर्माण के दौरान या पश्चात जीव की हानि नहीं होती व साथ ही अन्य परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। साध्वी ने गणतंत्र दिवस पर कहा कि वं – वंदन हो आर्यभूमि को, वंदन हो पितृभूमि को, वंदन हो भारत, दे-देश को नमन हो, इस संतो की भूमि को, नमन हो इस मोक्ष भूमि को। मां-मातृभूमि को। महाराजाओं की, महापुरुषों की इस भूमि को हजारों वंदन। त-तारक तीर्थंकरों की तारकता को कोटि कोटि वंदन। र-रमणीय ऐसे जंगल, पवित्र ऐसी नदियों और म- मंगल ऐसे तीर्थों की पावन भूमि को नमन, दुर्लभ ऐसी आर्यभूमि के कण कण को नमन। कार्यक्रम का संचालन उमेद रांका ने किया। साध्वी डॉ. कुमुदलता ने पांडवपुरा श्रीसंघ के श्रावक-श्रविकाओं को धन्यवाद दिया।