बैठक में नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन करने वालों के बारे में जिला व मंडल अध्यक्षों से पूर्व विवरण एकत्रित लेना शुरू कर दिया है। लेकिन सूची को अंतिम रूप देना आसान नहीं होगा क्योंकि मतभेद पहले से उभर रहे हैं। विशेष रूप से खनन उद्यमी जनार्दन रेड्डी के साथ भाजपा का कोई सरोकार नहीं होने के भाजपा अध्यक्ष
अमित शाह के बयान व उनको टिकट देने से इनकार करने पर कड़ी आपत्ति की गई है। जनार्दन रेड्डी भी अपने प्रभाव वाले बल्लारी से फिर चुनाव लडऩे के इच्छुक बताए जाते हैं।
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पहली बार दक्षिणी राज्य में सत्ता में लाने में रेड्डी बंधुओं ने अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन अवैध खनन के मामले में जनार्दन रेड्डी के लंबे समय तक जेल में बंद रहने के बाद भाजपा के नेता हरेक कदम फूंक- फूंक कर उठा रहे हैं क्योंकि चुनाव से पहले जनार्दन रेड्डी को दुबारा पार्टी से जोडऩे से कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ बैठे बिठाए मुद्दा मिल सकता है और इससे भाजपा की चुनावी खेल संवरने के बजाय बिगड़ सकता है। हालांकि, जन सभाओं में कुछ उम्मीदवारों के नाम घोषित करने के लिए शाह ने येड्डियूरप्पा को खरी-खोटी सुनाई थी लेकिन ईश्वरप्पा को शिवमोग्गा से टिकट देने के उनके अपने बयान से ही शिवमोग्गा भाजपा में बैचेनी पैदा हो गई है और पार्टी के जिला अध्यक्ष रुद्रेगौड़ा इसका विरोध कर रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में ईश्वरप्पा ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और गौड़ा ने येड्डियूरप्पा की पार्टी केजेपी से चुनाव लड़ा और इस संघर्ष में ईश्वरप्पा फिसलकर चौथेे स्थान पर रहे थे। इसी तरह ऐसे अन्य कई विधानसभा क्षेत्र हैं जहां चयनकर्ताओं को सूची को अंतिम रूप देने से पहले पूरी सावधानी बरतनी होगी क्योंकि किसी प्रकार के मतभेद उभरने या बगावत होने की स्थिति में पार्टी के 150 सीटों पर जीत हासिल करने के लक्ष्य को चोट पहुंच सकती है।