मणिपाल अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मुरली कृष्ण ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि मरीज भूभौतिक विज्ञानी है। थकावट के कारण करीब दो वर्ष पहले उसे नौकरी छोडऩी पड़ी। स्वास्थ्य जांच में एओर्टिक वाल्व में लिकेज की समस्या सामने आई। जिसके कारण हृदय का आकार बढ़ गया था। हृदय फेल होने का खतरा था। चिकित्सकों ने उसे जल्द से जल्द एओर्टिक वाल्व बदलवाने की सलाह दी थी।
कार्डियोथोरासिस सर्जन डॉ. देवआनंद एन. एस. ने बताया कि विस्तृत जांच में एओर्टिक रूट के आकार में वृद्धि की बात भी सामने आई। इसलिए एओर्टिक वाल्व के साथ रूट भी बदलना जरूरी था। यहोवा के साक्षी समुदाय से होने के कारण मरीज ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन (खून चढ़वाने) से मना कर रखा था। ऑपरेशन के दो सप्ताह पहले से मरीज को आयरन की गोलियां और प्रोटीन के टीके दिए गए। तब जाकर सर्जरी में सफलता मिली।