कांग्रेस को असंतोष उपजने का भय
बताया जाता है कि कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव से पहले मंत्रिमंडल विस्तार और निगम-मंडलों की नियुक्तियां कर जोखिम लेने के पक्ष में नहीं है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर उपचुनावों से पहले विस्तार और नियुक्तियों की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो इससे पार्टी में एक बार फिर से असंतोष उभर सकता है। पार्टी में काफी संख्या में वरिष्ठ नेताओं के साथ ही युवा नेता भी मंत्री पद के दावेदार हैं।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जिन नेताओं को पद नहीं मिलेगा वे उपचुनाव में पार्टी के खिलाफ काम कर सकते हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राज्य विधानसभा की तीन सीटों के अलावा लोकसभा की तीन सीटों का उपचुनाव भी होना है। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल कुछ महीने बचे होने के बावजूद बल्लारी, शिवमोग्गा और मण्ड्या लोकसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव कराया जाना संवैधानिक बाध्यता है क्योंकि प्रावधानों के मुताबिक विधायिका की सीटें छह महीने से ज्यादा समय तक रिक्त नहीं रखी जा सकती हैं।
पिछले मई में हुए चुनाव में विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद भाजपा के बी एस येड्डियूरप्पा ने शिवमोग्गा और श्रीरामुलू ने बल्लारी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा मण्ड्या से जद-एस के सांसद रहे सी एस पुट्टराजू ने भी त्याग पत्र दे दिया था। विधानसभा की दो सीटों के साथ ही लोकसभा की इन सीटों के लिए चुनाव आयोग के जल्द ही चुनाव कार्यक्रम घोषित करने ेकी संभावना है। बताया जाता है कि दोनों दलों के नेताओं की निगाहें अब आयोग पर टिकी हैं। उपचुनाव घोषित ही आचार संहिता लागू होने के बहाने मंत्रिमंडल विस्तार डेढ़-दो महीने के लिए टल जाएगा। इसके बाद पार्टी दिसम्बर में लोकसभा चुनाव की तैयारियों का हवाला देकर दो-तीन महीने तक मंत्रिमंडल विस्तार और निगम-मंडलों की नियुक्तियां टाल देगी।