जहां परीक्षणों में हुई बढ़ोतरी का सवाल है तो इसमें वृद्धि हुई है लेकिन, मौत और संक्रमण हुई वृद्धि की तुलना में यह कम है। उसमें से भी जितने परीक्षण हुए हैं उनका 61 फीसदी पिछले 38 दिनों में हुआ जबकि लगभग 40 फीसदी पिछले 184 दिनों में हुआ था। दरअसल, 4.6 लाख परीक्षण इन्हीं 38 दिनों के दौरान हुए और इनमें से भी 30 फीसदी यानी लगभग 1.4 लाख लोगों के परीक्षण जुलाई महीने के आठ दिनों के दौरान हुए। इन आठ दिनों में प्रतिदिन औसतन 17 हजार 304 लोगों की जांच हुई। हालांकि, मई महीने के अंत में ही जांच की दर काफी उच्च थी जब प्रति दिन 13 हजार नमूनों की जांच हो रही थी। तब बाहरी राज्यों से आने वाले अधिकांश लोग जांच से गुजर रहे थे।
जिन 470 लोगों की मौत हुई है उनमें से 90 फीसदी मौत पिछले पांच सप्ताह के दौरान 1 जून से 8 जुलाई के बीच दर्ज किए गए। अप्रेल महीने के अंत तक प्रति दिन कोरोना से होने वाली मौतें औसतन 1 से कम थी। मई में औसतन प्रतिदिन एक कोरोना की मौत हुई जबकि जून में यह बढ़कर प्रति दिन 6.5 तक पहुंच गई। जुलाई में कोरोना एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है और हर दिन औसतन 28 लोग इस महामारी का शिकार हो रहे हैं। मई के अंत तक कोरोना से मरने वाले कुल मरीजों की संख्या 51 थी जो 15 जून तक 88 और 30 जून तक 246 तक पहुंच गई। इसके बाद अगले सिर्फ 8 दिनों में 224 मौतें हुई हैं।
राज्य में कोरोना से मृत्यु दर 1.6 फीसदी है लेकिन 60 वर्ष से अधिक उम्र के रोगियों की मृत्यु दर 6 फीसदी है। 8 जुलाई तक जिन 470 मरीजों की मौत हुई है उसमें से 218 की उम्र 60 वर्ष से अधिक थी जबकि 95 की उम्र 50 से 60 वर्ष के बीच थी। कई मरीजों की मौत समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने अथवा इलाज नहीं मिलने के कारण भी हुई।
कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डॉ सीएन मंजुनाथ के अनुसार अमूमन ‘महामारी लगभग छह महीने तक फैलती है। अब हम लगभग चार महीने पार कर चुके हैं और मामले बढऩे की उम्मीद है। मामलों में तीव्र वृद्धि के साथ मौत के आंकड़े भी बढ़ेंगे। इसलिए ध्यान महामारी से हो रही मौतों को नियंत्रित करना है। आदर्श स्थिति वह है जब मृत्यु दर 1 फीसदी से कम हो। लेकिन, पहले से ही ही मृत्यु दर 1.6 फीसदी पहुंच चुकी है।Ó