scriptप्रायश्चित से अशुभ कर्मों का नाश-साध्वी डॉ. सुधाकंवर | Destruction of bad deeds by atonement - Sadhvi Dr. Sudhakanwar | Patrika News
बैंगलोर

प्रायश्चित से अशुभ कर्मों का नाश-साध्वी डॉ. सुधाकंवर

धर्मसभा

बैंगलोरSep 17, 2021 / 07:35 am

Yogesh Sharma

प्रायश्चित से अशुभ कर्मों का नाश-साध्वी डॉ. सुधाकंवर

प्रायश्चित से अशुभ कर्मों का नाश-साध्वी डॉ. सुधाकंवर

बेंगलूरु.हनुमंतनगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी सुधाकंवर ने कहा कि अगर मनुष्य सच्चे मन से अपने पापों के लिए प्रायश्चित करे, तो उसके पाप धुल सकते हैं। प्रायश्चित करने से साधक को क्या लाभ मिलता है इस विषय पर उन्होंने कहा कि प्रायश्चित करने से साधक अपने पाप कर्मों की विशुद्धि कर लेता है। जिससे ज्ञान दर्शन चारित्र रूपी मोक्ष मार्ग को प्राप्त कर सकता है। जो पापों का छेदन करे उसे प्रायश्चित कहते हैं। प्रायश्चित के भाव मानव को महामानव , जीव से शिव और नर से नारायण बना देता है। व्यक्ति अज्ञान और प्रमाद में वशीभूत होकर पापकर्म का बंध कर इस संसार में अनादिकाल से भटक रहा है। जो ज्ञानी है वही पाप से डरता है। पापरहित आत्मा मोक्ष मार्ग की और बढ़ती है। भूल होना गलती होना सहज है स्वाभाविक है, यह मनुष्य का गुण है। लेकिन जो अपनी गलतियों और त्रुटियों को स्वीकार कर प्रायश्चित कर लेता है वही मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है। प्रायश्चित से अशुभ कर्मों का नाश और शुभ कर्मों का उपार्जन होता है।
साध्वी सुयशा ने कहा कि संसार में सबसे महत्वपूर्ण शब्द प्रेम है। दिव्य अनुभूति के लिए सब जीवों के प्रति दया ,प्रेम आवश्यक है क्योंकि परमात्मा स्वयं इस गुण से ओतप्रोत हैं। प्रेम के दो शब्द परायों को भी अपना बना लेते है। प्रेम में वह ताक़त है जो परिवार , संघ समाज और राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोके रखता है। साध्वी विजयप्रभा एवं साध्वी साधना ने भी विचार व्यक्त किए। साध्वी सुधाकंवर ने साध्वी ज्ञानलता के संलेखना संथारा सहित देवलोकगमन पर कहा कि यह अपूरणीय क्षति हुई है। इस अवसर पर प्राज्ञ संघ के गौतम कांठेड़ , मोनिका जैन, चंदना मेड़तवाल, लाजकंवर छाजेड़ ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर प्राज्ञ संघ के रिखबचंद हिंगड़, हस्तीमल कोठारी, सज्जनराज बाफऩा, ताराचंद भंडारी, शांतिलाल भंडारी, गौतमचंद गोटावत उपस्थित हुए। साध्वीवृंद के सान्निध्य में शनिवार को आचार्य आत्माराम,आचार्य शिवमुनि एवं आचार्य जयमल का जन्मोत्सव, एकासन तप एवं धर्म आराधना से मनाया जाएगा।
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