स्वामी के समझाने पर दोनों गांव के लोगों ने तय किया कि वे भैंसे का डीएनए टेस्ट नहीं कराएंगे। ग्रामीणों ने माना कि जो भी दोषी होगा, उसे देवी मरिकंबा सजा देंगी। साथ ही हारनहल्ली के लोगों ने भैंसे को बेलिमल्लूर गांव को सौंपने का निर्णय किया। पूर्व में यह भैंसा बेलिमल्लूर गांव के मंदिर को सौंपा गया था, जो दो वर्ष पूर्व लापता हो गया था। कुछ समय पूर्व हारनहल्ली गांव में लापता भैंसे की तरह दिखने वाला एक भैंसा दिखा जिस पर बेलिमल्लूर गांव के लोगों ने दावा किया।
मामला इतना उलझा कि लोग डीएनए टेस्ट से स्वामित्व का पता लगाने को तैयार थे, लेकिन इस बीच मठ के हस्तक्षेप से मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान निकल गया। दावणगेरे एसपी हनुमंतरय्या ने कहा कि दोनों गांवों के बीच सौहार्दपूर्ण समाधान हो गया है, इसलिए अब डीएनए टेस्ट नहीं होगा। वहीं ग्रामीणों का मानना है कि भैंसा मंदिर को सौंपा गया था, इसलिए यह एक ‘पवित्र’ भैंसा है। अगर इसका खून निकाला जाएगा तो यह इसकी पवित्रता से समझौता होगा और इससे देवी मरिकंबा नाराज होंगी।