हालांकि, कुमारस्वामी ने अपने पिछले बजट में 34 हजार करोड़ रुपए का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की थी लेकिन चार किश्तों में रकम की भरपाई की योजना सफल नहीं हो पाई। सत्ता में आने के सात माह बीत जाने के बाद भी केवल 1000 करोड़ रुपए ही सहकारी बैंकों को जारी हुआ।
राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए गए ऋण माफ करने की दिशा में अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। ऋण माफी की प्रक्रिया धीमी होने के कारण जहां किसानों का सब्र टूट रहा है वहीं विपक्ष भी इसे मुद्दा बना रहा है। राष्ट्रीयकृत बैंकों का बकाया ऋण माफ करने के संबंध में स्पष्टता नहीं होने से किसानों को नोटिस मिल रहे हैं।
किसानों की आत्महत्याएं अभी थमी नहीं है। राज्य सरकार की ऋण माफी योजना को लेकर हो रही आलोचनाओं व टीका टिप्पणियों से आहत मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने गत दिनों कहा था कि वे अगले बजट में किसानों द्वारा सहकारी व राष्ट्रीयकृत बैंकों से लिए कुल 46 हजार करोड़ रुपए के ऋण को एक बार में माफ करने की घोषणा करेंगे। यदि बजट में यह घोषणा की जाती है तो यह सूखे की मार झेल रहे प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी राहत होगी।
नई योजना की उम्मीद
अगले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत के लिए मुख्यमंत्री कुमारस्वामी केन्द्र की तर्ज पर किसानों को विशेष अनुदान देने, दलितों, पिछड़ों व अल्पसंख्यक वोट बैंक को मजबूत करने के लिए विशेष कल्याणकारी योजनाओं की भी घोषणा कर सकते हैं। राज्य में इस साल सूखे के गंभीर हालात हैं और करीब 156 तालुक सूखे की चपेट में हैं। लिहाजा मुख्यमंत्री सूखा राहत के लिए विशेष अनुदान की घोषणा कर सकते हैं।
बड़वर बंधु का विस्तार
पिछले बजट की बड़वर बंधु योजना को इस साल लागू किया गया है लेकिन यह योजना अभी प्रारंभिक चरण में हैं। ऐसे में इस साल के बजट में इस योजना का दायरा बढ़ाने की बात हो सकती है। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को सस्ता व मुफ्त इलाज सुलभ करवाने के लिए आरोग्य कर्नाटक यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज योजना को और कारगर तरीके से लागू करने की भी योजना है।
बढ़ेगा इस बार बजट का आकार
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के इस साल के बजट का आकार करीब 2.35 लाख करोड़ रुपए तक हो सकता है। पिछला बजट 2.18 लाख करोड़ रुपए का था। यदि वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट में मुख्यमंत्री एकमुश्त ऋण माफी की घोषणा करते हैं तो इसका असर प्राथमिक क्षेत्रों के बजट आवंटन पर पड़ सकता है।
ऋण माफी योजना लागू करने के लिए मुख्यमंत्री विभिन्न विभागों को किए जाने वाले बजटीय आवंटन में कटौती कर सकते हैं। इसके साथ ही बाहरी स्रोतों या वित्तीय संस्थाओं से ऋण भी लेना पड़ सकता है। ऋण लेते समय उन्हें कर्नाटक वित्तीय अनुशासन अधिनियम के मानदंडों का भी पालन करना होगा।