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बैंगलोर

बारिश से खिले किसानों के चेहरे

तम्बाकू और कपास की बुआई अंतिम चरण में

बैंगलोरJun 03, 2018 / 05:45 pm

Ram Naresh Gautam

rain

बारिश से खिले किसानों के चेहरे

मैसूरु. पिछले चार साल से औसत से कम बारिश की मार झेल रहे मैसूरु जिले में इस बार मानसून पूर्व की संतोषप्रद बारिश होने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे के दौरान जिले में दक्षिण पश्चिम मानसून का प्रवेश हो जाएगा और 6 जून तक जिले में लगातार बारिश होने की संभावना है।
अच्छी बारिश का सपना संजोए किसानों ने कृषि गतिविधियां तेज कर दी हैं। जिले के किसान अपने खेतों को बुआई के लिए तैयार करने लगे हैं।
यहां तक कि कपास और तम्बाकू की बुआई भी शुरू हो चुकी है और अनुमानित भूभाग पर इन दोनों फसलों की बुआई अपने अंतिम चरण में है। कृषि विभाग ने इस वर्ष के लिए जिले में 63,700 हेक्टेयर भूमि पर तम्बाकू बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया था जबकि बुआई का आंकड़ा 65,000 हेक्टेयर भूमि का पार कर चुका है। पेरियापट्टण और हुणसूर तालुक को जिले में मुख्य तम्बाकू उत्पादक क्षेत्र माना जाता है और दोनों ही तालुकों में बुआई का लक्ष्य पूरा हो चुका है।
वहीं हुणसूर में बड़े पैमाने पर दलहन की खेती होती है और इस वर्ष 19,000 हेक्टेयर भूमि पर बुआई का लक्ष्य है, जिसमें करीब 5000 हेक्टेयर पर बुआई हो चुकी है। कपास की बुआई भी अपने चरम पर है और इस वर्ष कृषि विभाग ने जिले में 46,000 हेक्टेयर भूमि पर कपास बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया है। अब तक तय लक्ष्य का करीब 80 प्रतिशत बुआई पूर्ण हो चुका है। जिले में एचडी कोटे तालुक को मुख्य कपास उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। इस वर्ष तालुक में करीब 30,000 हेक्टेयर भूमि पर कपास की खेती का लक्ष्य निर्धारित है, जिसमें 24,000 हेक्टेयर पर बुआई हो चुकी है।
जिले में 1.94 लाख हेक्टेयर में अनाज और धान की खेती
कृषि विभाग ने जिले में मक्का, ज्वार, रागी जैसे अनाज और धान की खेती के लिए 1.94 लाख हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा है। अब तक करीब 26,000 हेक्टेयर भूमि पर इन फसलों की बुआई हुई है। जहां मक्का, ज्वार और रागी की खेती बारिश की प्रधानता वाले क्षेत्रों में होती है वहीं धान की खेती कावेरी नदी पर बने जलाशयों से संबंधित नहरों के सिंचाई पर आश्रित है, क्योंकि धान की खेती में सिंचाई हेतु ज्यादा पानी चाहिए। ऐसे में इस वर्ष अच्छी बारिश की संभावना से किसानों की उम्मीद है जगी है कि उन्हें सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।

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