जम्बो सवारी में ७५० किलोग्राम के स्वर्ण हौदे में उत्सव मूर्ति को उठाकर चलने वाले हाथी अर्जुन सहित अन्य सभी हाथियों की विदाई के पूर्व विशेष पूजा की गई। हाथियों और महावतों के स्वस्थ एवं मंगलमय जीवन की प्रार्थना की गई है। हाथियों के अग्रभाग पर कुमकुम लगाकर एवं माला पहनाकर उनकी आरती उतारी गई। बाद में सभी हाथियों को विशेष भोग प्रदान किया गया और अंतत: विदाई यात्रा आरंभ हुई।
मैसूरु दशहरा महोत्सव में इस वर्ष १३ हाथियों ने भाग लिया जिनमें अभिमन्यु, गोपालस्वामी और जयप्रकाश बुधवार को ही बंडीपुर के लिए रवाना हो गए। तीनों हाथियों को वहां बाघ पकडऩे के अभियान में लगाया गया है। वहीं शेष १० हाथियों का विदाई पूजन गुरुवार को हुआ और बाद उन्हें ट्रकों पर चढ़ाकर वन्य शिविरों के लिए रवाना किया गया।
मैसूरु महल बोर्ड के उप निदेशक टीएस सुब्रमण्या, मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) टी. हीरालाल, उप वन संरक्षक (डीसीएफ) जे. एलेक्जेंडर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सभी १० हाथियों की पूजा की और प्रत्येक महावत एवं कवाड़ी को दस हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि सौंपी। वहीं अर्चकों ने हाथियों को विदा करने के पूर्व अष्टोत्तर जाप किया और दशहरा उत्सव को विघ्नरहित पूर्ण करने के लिए धन्यवादा स्वरूप हाथियों को गुड़ एवं गन्ना खिलाया।
मैसूरु महल बोर्ड के उप निदेशक टीएस सुब्रमण्या, मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) टी. हीरालाल, उप वन संरक्षक (डीसीएफ) जे. एलेक्जेंडर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सभी १० हाथियों की पूजा की और प्रत्येक महावत एवं कवाड़ी को दस हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि सौंपी। वहीं अर्चकों ने हाथियों को विदा करने के पूर्व अष्टोत्तर जाप किया और दशहरा उत्सव को विघ्नरहित पूर्ण करने के लिए धन्यवादा स्वरूप हाथियों को गुड़ एवं गन्ना खिलाया।
लौटने को तैयार न थे ईश्वर और लक्ष्मी
राजसी मेहमानवाजी और उत्सवी माहौल में रम गए ईश्वर और लक्ष्मी हाथियों ने ट्रक पर चढऩे से इंकार कर दिया। दोनों हाथी पहली बार दशहरा महोत्सव में शामिल होने मैसूरु आए थे और पिछले डेढ़ महीनों में उनका मन मैसूरु में रम गया। दोनों को जब ट्रक पर चढ़ाने के लिए लाया गया तब दोनों अड़ गए और बार बार वापस घूमने लगे। बाद में महावतों ने अन्य हाथियों की मदद से काफी मशक्कत से ईश्वर को ट्रक पर चढ़ाया।
राजसी मेहमानवाजी और उत्सवी माहौल में रम गए ईश्वर और लक्ष्मी हाथियों ने ट्रक पर चढऩे से इंकार कर दिया। दोनों हाथी पहली बार दशहरा महोत्सव में शामिल होने मैसूरु आए थे और पिछले डेढ़ महीनों में उनका मन मैसूरु में रम गया। दोनों को जब ट्रक पर चढ़ाने के लिए लाया गया तब दोनों अड़ गए और बार बार वापस घूमने लगे। बाद में महावतों ने अन्य हाथियों की मदद से काफी मशक्कत से ईश्वर को ट्रक पर चढ़ाया।
विदाई के दौरान हुए भावुक
वहीं, महावतों ने महोत्सव को लेकर हाथियों की देखभाल के लिए उन्हें सौंपा गया सारा सामान प्रशासन को सुरक्षित वापस लौटा गया। महावतों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी पिछले डेढ़ महीने से यहीं रह रहे थे। उन्होंने भी एक दूसरे से गले लगकर फिर मिलने के वादे के साथ प्रस्थान किया। इस दौरान महावतों के कई बच्चे बेहद भावुक नजर आए।
वहीं, महावतों ने महोत्सव को लेकर हाथियों की देखभाल के लिए उन्हें सौंपा गया सारा सामान प्रशासन को सुरक्षित वापस लौटा गया। महावतों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी पिछले डेढ़ महीने से यहीं रह रहे थे। उन्होंने भी एक दूसरे से गले लगकर फिर मिलने के वादे के साथ प्रस्थान किया। इस दौरान महावतों के कई बच्चे बेहद भावुक नजर आए।
२४० किग्रा बढ़ा अर्जुन का वजन
जम्बो सवारी के लिए शाही दावत उड़ाने वाले हाथियों के वजन में संतोषजनक वृद्धि हुई। विदाई के समय कैप्टन अर्जुन का वजन २४० किग्रा बढ़ा जबकि अभिमन्यु और ईश्वर का वजन २७५ किग्रा बढ़ा। वहीं, धनंजय का वजन २५० किग्रा और विजया का वजन १४५ बढ़ा। चिकित्सक डॉ डीएन नागराज ने बताया कि आगमन के समय अर्जुन का वजन ५८०० किग्रा था जबकि प्रस्थान के दौरान ६०४० किग्रा रहा। वहीं अभिमन्यु और ईश्वर जब आए थे तब क्रमश: ४८७० किग्रा और ३९९५ किग्रा थे और लौटने के समय उनका वजन क्रमश: ५१४५ और ४२७० किग्रा है।
जम्बो सवारी के लिए शाही दावत उड़ाने वाले हाथियों के वजन में संतोषजनक वृद्धि हुई। विदाई के समय कैप्टन अर्जुन का वजन २४० किग्रा बढ़ा जबकि अभिमन्यु और ईश्वर का वजन २७५ किग्रा बढ़ा। वहीं, धनंजय का वजन २५० किग्रा और विजया का वजन १४५ बढ़ा। चिकित्सक डॉ डीएन नागराज ने बताया कि आगमन के समय अर्जुन का वजन ५८०० किग्रा था जबकि प्रस्थान के दौरान ६०४० किग्रा रहा। वहीं अभिमन्यु और ईश्वर जब आए थे तब क्रमश: ४८७० किग्रा और ३९९५ किग्रा थे और लौटने के समय उनका वजन क्रमश: ५१४५ और ४२७० किग्रा है।