डॉ मिश्र ने कहा कि भारतीय भाषाओं के विकास से ही हमारी बौद्धिक चेतना का विकास जुड़ा है। कन्नड हिंदी पर्यायवाची कोश से कर्नाटक की नई पीढ़ी लाभान्वित होगी। इससे सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलेगा। कार्यशाला में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा से स्वीकृत विद्वानों की टीम में प्रोफेसर टी.आर.भट्ट, कर्नाटक विश्वविद्यालय,धारवाड़ से डॉ. श्रीधर हेगड़े, मेंगलूरु विश्वविद्यालय से डॉ.उमा हेगड़े, डॉ.मनोरंजनी कोटेमने, परमेश्वर हेगड़े, डॉ.परमान सिंह, केंद्र से क्षेत्रीय निदेशक डॉ. योगेंद्र मिश्र, डॉ.रणजीत भारती, राघवेंद्र उपस्थित रहे।