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बैंगलोर

पॉजिटिव नतीजा आते ही हजारों मरीज गायब

सात दिन में लापता हुए सात हजार कोरोना संक्रमित

बैंगलोरOct 17, 2020 / 10:08 pm

Sanjay Kulkarni

पॉजिटिव नतीजा आते ही हजारों मरीज गायब

पॉजिटिव नतीजा आते ही हजारों मरीज गायब

बेंगलूरु. एक ओर प्रशासन महामारी पर रोक पाने के लिए जूझ रहा है। दूसरी ओर आम नागरिक ऐसे काम कर रहे हैं जिनसे महामारी को नियुत्रित करना लगभग असंभव होता जा रहा है। अगर यह गैरजिम्मेदार रवैया जारी रहा तो हालात बेहद खौफनाक रूप ले सकते हैं।सरकार लगातार परीक्षण की संख्या बढ़ा रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का पता लगा कर इलाज किया जा सके। लेकिन परीक्षण के बाद नतीजा पॉजिटिव आने पर हर दिन कम से कम एक हजार लोग गायब हो रहे हैं।
प्रशासन उन्हें ढूंढ नहीं पा रहा। इस कारण संक्रमण का दायरा समेटने में सफलता नहीं मिल रही। संक्रमितों के गायब होने से वे अपनी भी जान खतरे में डाल रहे हैं और दूसरों को भी संक्रमित कर रहे हैं।शहर में जगह-जगह कोरोना वायरस का नि:शुल्क परीक्षण किया जा रहा है लेकिन कई लोग ऐसे हैं कि जब उनके संक्रमित होने रिपोर्ट भेजी जाती है तो वे अपना मोबाइल बंद कर गायब हो जाते हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी बहुत ज्यादा है जो परीक्षण के दौरान गलत पता दे देते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जब लोगों ने जानबूझकर फर्जी पते लिखवाए। जब उन्हें ढूंढने का प्रयास किया गया तो वे नहीं मिले।
बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के सूत्रों के मुताबिक शहर में पिछले सात दिन में लापता हुए ऐसे लोगों की संख्या 7600 से अधिक है। बीबीएमपी के आयुक्त एन.मंजुनाथ प्रसाद के अनुसार बीबीएमपी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है। रिपोर्ट पॉजिटिव होने के बाद छिपना बेहद खतरनाक है। यह एक अक्षम्य अपराध है। ऐसे लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा रही है। लोग अपने साथ-साथ परिजनों से भी धोखाधड़ी कर रहे हैं। शहर में प्रति दिन लगभग 1 हजार कोरोना संक्रमितों का लापता होना बेहद घातक है।
6 अक्टूबर से 12 अक्टूबर के बीच शहर में 30,882 लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई लेकिन इनमें से 7,630 लोगों से संपर्क नहीं हो सका है। शहर में प्रतिदिन लगभग 40 हजार परीक्षण किए जा रहे हंै। प्रति दिन कोरोना से संक्रमित नए मरीजों का आंकड़ा अब 5 हजार तक पहुंच चुका है। लापता हुए संक्रमितों के प्राथमिक तथा द्वितीयक संपर्क में आने वालों की संख्या अनिश्चित है। पुलिस को भी ऐसे लोगों का पता लगाना आसान नहीं है।
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