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बैंगलोर

गृहस्थ धर्म में भी सदाचार का पालन जरूरी: आचार्य उदयप्रभ

चिकपेट मंदिर में प्रवचन

बैंगलोरJul 21, 2021 / 09:04 am

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. आदिनाथ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ, चिकपेट में आचार्य उदयप्रभसूरीश्वर ने प्रवचन में कहा कि लोककल्याण मानव से संबंधित है और आत्मकल्याण चारों गति के किसी भी जीव से संबंधित है।

शास्त्रों में कहा है कि आत्मकल्याण बिना लोककल्याण हो नहीं सकता। आदिनाथ भगवान ने युगलिक धर्म का निवारण किया और गृहस्थ धर्म का मार्ग बताया। वह इसलिए बताया क्योंकि हर आत्मा सर्व विरति यानी दीक्षा नहीं ले सकती और जब तक वह इस मार्ग पर न आए तब तक वह भटक सकती है और उसे अटकाने के लिए गृहस्थ धर्म भगवान ने बताया। गृहस्थ धर्म में भी सदाचार का पालन ज़रूरी है।
उन्होंने कहा कि सदाचार की मिट्टी में सम्यकत्व के बीज से ही सर्वविरति का वृक्ष प्रगट होता है। कल्याण रूपी वृक्ष को उगाने के लिए भगवान बगीचे के समान हैं। भगवान खुद के लिए पृथ्वी जैसे कठोर हैं और अन्यों के लिए बगीचे जैसे कोमल है। केवल ज्ञान के पश्चात अरिहंत परमात्मा से श्रुत रूपी गंगा बहती है।
पंन्यास अभ्युदयप्रभविजय ने कहा कि क्रोध, भय, लोभ और हास्य के कारण व्यक्ति झूठ बोलता है। युगलिकों के पास ये चारों कारण नहीं थे, इसलिए वे झूठ नहीं बोलते थे। जिनेश्वर भगवान के वचन पर श्रद्धा से हमारा आत्मकल्याण होगा।

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