उन्होंने कहा कि सदाचार की मिट्टी में सम्यकत्व के बीज से ही सर्वविरति का वृक्ष प्रगट होता है। कल्याण रूपी वृक्ष को उगाने के लिए भगवान बगीचे के समान हैं। भगवान खुद के लिए पृथ्वी जैसे कठोर हैं और अन्यों के लिए बगीचे जैसे कोमल है। केवल ज्ञान के पश्चात अरिहंत परमात्मा से श्रुत रूपी गंगा बहती है।
पंन्यास अभ्युदयप्रभविजय ने कहा कि क्रोध, भय, लोभ और हास्य के कारण व्यक्ति झूठ बोलता है। युगलिकों के पास ये चारों कारण नहीं थे, इसलिए वे झूठ नहीं बोलते थे। जिनेश्वर भगवान के वचन पर श्रद्धा से हमारा आत्मकल्याण होगा।