मुनि ने कहा कि केशीश्रमण और गौतम स्वामी दोनों ही एक ही धर्म का पालन करते हुए भी उनके नियम, व्यवहार, समाचारी आदि अलग-अलग थे। समाचा री- नियम एक न होने पर भी केशी- गौतम एक ही नगरी में रहने पर भी एक दूसरे के प्रति निंदा के भाव नहीं लाते।
मुनि ने कहा कि इस घटना से एक बात साबित होती है कि समाचारी अलग-अलग होते हुए भी शांति के साथ रहा जा सकता है। जिनकी दृष्टि मिथ्या (दुर्योधन की) होती है उसे स्वयं के अलावा कोई अच्छा नजर नहीं आता, सम्यक दृष्टि को कोई बुरा नहीं दिखता।
मुनि ने कहा कि इस घटना से एक बात साबित होती है कि समाचारी अलग-अलग होते हुए भी शांति के साथ रहा जा सकता है। जिनकी दृष्टि मिथ्या (दुर्योधन की) होती है उसे स्वयं के अलावा कोई अच्छा नजर नहीं आता, सम्यक दृष्टि को कोई बुरा नहीं दिखता।
जिनशासन की परंपरा दुशासन की नहीं सुशासन की है। जहां पर स्यादवाद और अनेकांतवाद जैसे दर्शन मिलते हैं। प्रचार- प्रसार मंत्री प्रेम कुमार कोठारी ने बताया कि संचालन मनोहर लाल बंब ने किया।