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बैंगलोर

कर्नाटक: मुस्लिमों का 4% ओबीसी कोटा खत्म, वोक्कालिगा, लिंगायत आरक्षण में वृद्धि

– राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला- मुस्लिमों को अब इडब्लूएस वर्ग में मिलेगा लाभ

बैंगलोरMar 25, 2023 / 01:13 am

Sanjay Kumar Kareer

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बेंगलूरु. आसन्न विधानसभा चुनाव से ऐन पहले राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में मिल रहे चार प्रतिशत आरक्षण को खत्म करने और वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में इसका समान रुप से विभाजन करने का निर्णय लिया। प्रवर 2बी में आने वाले मुस्लिमों को अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इडब्लूएस) श्रेणी में आरक्षण का लाभ मिलेगा। मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटा में 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान एच. डी. देवगौड़ा के मुख्यंत्रित्व काल में 1995 में हुआ था। राज्य में अभी 56 प्रतिशत आरक्षण है।
यहां शुक्रवार को मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मइ्र की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आरक्षण में बदलाव को लेकर निर्णय लिया गया। चुनाव की घोषणा से पहले यह मंत्रिमंडल की संभवत: आखिरी बैठक मानी जा रही है।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री बोम्मई ने निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि मुस्लिमों को 2बी से हटाकर 10 प्रतिशत वाले इडब्लूएस श्रेणी में लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस चार प्रतिशत आरक्षण में से दो-दो प्रतिशत की वृद्धि वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के कोटे में की जाएगी, इससे कुल ओबीसी आरक्षण बढ़ जाएगा। अभी वोक्कालिगा समुदाय को श्रेणी 2सी के तहत 4 प्रतिशत और लिंगायत समुदाय को 2डी के तहत 5 प्रतिशत आरक्षण मिलता है जो वृद्धि के बाद बढ़कर क्रमश: 6 और 7 प्रतिशत हो जाएगा। पहले ये दोनों समुदाय श्रेणी 3ए और 3बी में आते थे, जिसे अब खत्म कर दिया गया है। दिसंबर 2022 में बेलगावी में शीतकालीन सत्र के दौरान हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायतों के लिए क्रमशः 2सी और 2डी की नई श्रेणियों के निर्माण को मंजूरी दी गई थी।
इसलिए किया ऐसा फैसला

बोम्मई ने कहा कि संविधान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। किसी भी अन्य राज्य में ऐसा कोई आरक्षण नहीं है। आंध्र प्रदेश में उच्च न्यायालय ने धार्मिक आधार पर दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिया था। बोम्मई ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर ने भी कहा था कि आरक्षण जातिगत आधार पर होना चाहिए। बोम्मई ने कहा कि आज नहीं तो कल कोई अदालत में धार्मिक आधार पर आरक्षण को चुनौती देता तो वह खारिज हो सकता था, इसलिए सरकार ने सुधारात्मक कदम उठाया। आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ किसी भी समुदाय को मिल सकता है और मुस्लिम भी इसके दायरे में आते हैं, इसलिए उन्हें ओबीसी से हटाकर इडब्लूएस में लाया गया है। बोम्मई ने कहा कि सभी समुदायों के गरीब जो अजा, जजा या ओबीसी में नहीं हैं, वे ईडब्ल्यूएस कोटा के तहत आरक्षण अर्हता में आएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही ईडब्ल्यूएस कोटे के कार्यान्वयन को अधिसूचित करेगी। बोम्मई ने कहा कि यदि आप इसे आशावादी रूप से देखते हैं, तो मुस्लिम अब 10 प्रतिशत आरक्षण के बड़े पूल के तहत आएंगें। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मुस्लिम श्रेणी 1 और 2ए में भी आते हैं और उनके अर्हता लाभ में कोई बदलाव नहीं होगा।
अजा-जजा आंतरिक आरक्षण में भी बदलाव
ओबीसी आरक्षण 32 प्रतिशत के दायरे में बदलाव के बाद भरी बोम्मई सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ओबीसी आरक्षण चार श्रेणियों – श्रेणी 1 (4 प्रतिशत), श्रेणी 2ए (15 प्रतिशत), श्रेणी 2सी (6 प्रतिशत) और श्रेणी 2डी (7 प्रतिशत) में कुल आरक्षण 32 प्रतिशत पर बना रहे।
सरकार ने पहले ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण बढ़ाकर 15 से 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 3 से 7 प्रतिशत कर चुकी है। इसके साथ ही राज्य में आरक्षण बढ़कर 56 प्रतिशत हो गया था, जो उच्चतम न्यायालय की तय सीमा से अधिक है। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति के लिए आंतरिक आरक्षण पर मंत्रिमंडलीय उप-समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और समुदाय के भीतर विभिन्न समुदायों के लिए आरक्षण की घोषणा की।
समीकरणों को साधने की कोशिश
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इस फैसले से भाजपा सरकार को विभिन्न समुदायों की आरक्षण बढ़ाने की मांग को शांत करने में मदद मिलेगी। लिंगायत समुदाय का पंचमशाली उपसंप्रदाय काफी समय से आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है। हालांकि, सरकार ने पंचमशाली के बजाय पूरे लिंगायत समुदाय के आरक्षण में वृद्धि की है। वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय राजनीतिक तौर पर काफी प्रभावी माना जाजा है। विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षण में वृद्धि को दोनों समुदायों को लुभाने पर की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

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