scriptदेवी के दर्शन के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब | Lots of devotees for the Goddess's vision | Patrika News
बैंगलोर

देवी के दर्शन के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

शहर की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी के जन्मोत्सव में भाग
लेने के लिए रविवार को जिले और आसपास के क्षेत्रों के अलावा तमिलनाडु और
आंध्र प्रदेश से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे

बैंगलोरJul 17, 2017 / 09:39 pm

शंकर शर्मा

bangalore news

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मैसूरु. शहर की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी के जन्मोत्सव में भाग लेने के लिए रविवार को जिले और आसपास के क्षेत्रों के अलावा तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से भी काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

बताया जाता है कि चामुंडी पहाड़ी पर बने चामुंडेश्वरी मंदिर में आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन ही वर्ष 1820 में मैसूरु रियासत के तत्कालीन शासक मामुडी कृष्णराजा वाडियार ने मंदिर में देवी की प्रतिमा स्थापित की थी। तब से इसी दिन चामुंडेश्वरी वरधंती महोत्सव का आयोजन हर वर्ष होता है। इतिहासकारों का कहना है कि बाद में तत्कालीन शासक नलवाडी कृष्णराजा वाडियार ने देवी को सिंह वाहन और आभूषण अर्पित किए।

मंदिर मेंं धार्मिक अनुष्ठान सुबह 3.30 बजे ही शुरु हो गए। प्रतिमा को तेल, हल्दी और जल से स्नान कराने के बाद पूजा सुबह 5.30 बजे शुरु हुई। कई तरह के अभिषेक, धार्मिक अनुष्ठानों और महाआरती के बाद मंदिर के पट सुबह 7 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर के द्वार खुलने से पहले ही दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग चुकी है। द्वार खुलते ही भक्तों में देवी के दर्शन के लिए होड़ लग गई।

अधिक भीड़ के कारण पुलिसकर्मियों को कतार व्यवस्था बनाए रखने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। पहले पांच घंटे में ही 35 हजार से ज्यादा श्रद्धालु गर्भगृह के अंदर जाकर देवी का दर्शन कर चुके थे। मंदिर प्रबंधन के अधिकारियों का कहना था कि श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए यह संख्या शाम तक 1 लाख तक पहुंच सकती है। मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि रात 11 बजे तक मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुले रहेंगे।
 
यदुवीर ने की विशेष पूजा-अर्चना
पूर्व मैसूरु शाही परिवार के उत्तराधिकारी यदुवीर श्रीकंठ दत्ता नरसिम्ह राजा वाडियार भी महोत्सव में शामिल होने के लिए सुबह 7 बजे मंदिर पहुंचे। यदुवीर ने मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। बाद में यदुवीर पालकी उत्सव में भी शामिल हुए। इसमें देवी की प्रतिमा को सोने की पालकी में रखकर मंदिर के चारों ओर परिक्रमा कराई जाती है। पालकी उत्सव का आयोजन सुबह 11.30 हुआ। जैसे ही पालकी मंदिर के पास आया मैसूरु महल बैंड ने मैसूरु गीत (काय्यो श्री गौरी) की धुन बजाई और भक्तों के जय चामुंडेश्वरी से मंदिर परिसर गूंज उठा।

श्रद्धालुओं के लिए ललिता महल हेलीपैड से पहाड़ी तक पहुंचने के लिए कर्नाटक राज्य परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की ओर से नि: शुल्क बसों की व्यवस्था की गई थी। निगम से श्रद्धालुओं को पहाड़ी तक पहुंचाने के लिए 28 बसों को लगाया था। बसें पहाड़ी के ऊपर तावरेकट्टे तक श्रद्धालुओं को लेकर गई और इसके बाद श्रद्धाुलओं को मंदिर तक पैदल ही जाना पड़ा। इसके अलावा केएसआरटीसी स्टैंड से भी 60 बसों का परिचालन किया गया। इनमें सामान्य और वोल्वो बसें भी शामिल हैं। सामान्य बसों में जाने वाले श्रद्धालुओं से 17 रुपए किराया लिया गया जबकि वोल्वो बसों में सवार होने वाले श्रद्धालुओं से 30 रुपए किराया लिया गया।

दो बजे रात से ही जुटने लगे थे श्रद्धालु
ललिता महल हेलीपैड पर रात 2 बजे ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरु हो गया था। श्रद्धालु जल्दी बस पकड़कर मंदिर पहुंचना चाहते थे ताकि वे जल्दी दर्शन कर सकें। करीब डेढ़ हजार श्रद्धालु वहां जुट चुके थे। जल्द बस सेवा शुरु करने को लेकर श्रद्धालुओं और बस चालकों के बीच बहस भी हो गई। अतंत: सुबह 6 बजे बस सेवा शुरु हो पाई।
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