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बैंगलोर

बालिकाओं की भ्रूण हत्याएं अबाधित :लीलादेवी प्रसाद

तमाम प्रयासों के बावजूद कथित तौर पर शिक्षित परिवारों में भी बालिकाओं की भ्रूण हत्याएं बरकरार रहना हमारी सामाजिक विफलता है। ऐसी स्थिति में अंतराष्ट्रीय महिला दिवस बनाना महज एक रस्मअदायगी है। पूर्व मंत्री तथा प्रदेश जनता दल महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष लीलादेवी आर प्रसाद ने यह बात कही।

बैंगलोरMar 08, 2020 / 08:49 pm

Sanjay Kulkarni

बालिकाओं की भ्रूण हत्याएं अबाधित :लीलादेवी प्रसाद

बालिकाओं की भ्रूण हत्याएं अबाधित :लीलादेवी प्रसाद

बेंगलूरु.रविवार को जनता दल (एस) के कार्यालय जयप्रकाश नारायण भवन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि विज्ञान, अंतरीक्ष, प्रशासन, न्यायपालिका, शिक्षा, चिकित्सा खेल समेत हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी काबिलियत साबित करने के बावजूद आज भी कई परिवारों में लड़की पैदा होने पर दु:ख मनाया जाता है। लडकी को परिवार पर बोझ माना जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।उन्होंने कहा कि समाज कथित रूप से शिक्षित हो रहा है लेकिन साथ-साथ में ऐसे शिक्षित समाज में भी महिलाओं की प्रताडऩा अबाधित है। दहेज का लोभ यथावत है।आज भी दहेज के लिए बहुओं को जलाया जा रहा है। ऐसे में महिलाओं के सबलीकरण की बाते हास्यास्पद लगती है। एक ओर महिलाओं को देवी का स्थान देना दूसरी ओर उसको सरेआम अपमानित करना प्रताडि़त करना क्या यह एक सामाजिक विड़ंबना नहीं है? उन्होंने कहा कि 50 वर्ष पहले इसी दिन चीन के बिजिंग शहर में महिला कर्मचारियों के शोषण के खिलाफ शुरु किए गए आंदोलन की स्मृति में पूरे विश्व में महिला दिवस मनाया जाता है।राजनीति में भी महिलाओं को पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहें है।लोकसभा तथा विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण विधेयक ठंडे बस्ते में पडा है किसी भी राजनीतिक दल को इस लंबित विधेयक की चिंता नहीं है।मतदाताओं में लगभग 50 फीसदी महिलाएं होने के बावजूद कोई भी राजनीतिक दल महिला आरक्षण विधेयक को गंभीरता से नहीं ले रहा है।महिलाओं का सबलीकरण तथा उनकी आत्मनिर्भरता केवल घोषणाओं तक सिमित नहीं रहनी चाहिए।
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