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बैंगलोर

शहर के जनप्रतिनिधि नहीं चाहते हैं लॉकडाउन

बैठक में बताई राय

बैंगलोरApr 21, 2021 / 05:51 am

Sanjay Kulkarni

शहर के जनप्रतिनिधि नहीं चाहते हैं लॉकडाउन

शहर के जनप्रतिनिधि नहीं चाहते हैं लॉकडाउन

बेंगलूरु. कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद शहर के जनप्रतिनिधि लॉकडाउन जैसा सख्त कदम नहीं चाहते हैं। हालांकि, रोकथाम के लिए कठोर उपाय अपनाए जाने के पक्ष में हैं। मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा की अध्यक्षता में हुई शहर के विधायकों, सांसदों और मंत्रियों की बैठक में यह बात उभर कर सामने आई। कुछ विधायकों ने पूरे शहर में धारा १४४ लगाने का सुझाव दिया तो कुछ ने रात्रि कफ्र्यू रात १० बजे के बजाय ८ बजे से ही लगाने की राय दी। कुछ जनप्रतिनिधियों ने रात्रि कफ्र्यू का ही विरोध किया।
कोरोना संक्रमण के अस्पताल में भर्ती येडियूरप्पा ने वर्चुअली बैठक में भाग लिया। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा कि सरकार लॉकडाउन के खिलाफ राय को देखते हुए बेंगलूरु सहित अन्य शहरों में कोरोना को बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के लिए अन्य वैकल्पिक उपायों को तलाश रही है।
मुख्य विपक्षी कांग्रेस के विधायकों ने बैठक में सरकार को धारा १४४ के तहत कफ्र्यू लगाने और उसे सख्ती से लागू कराने का सुझाव दिया। मगर कांग्रेस विधायकों ने लॉकडाउन नहीं लगाने का सुझाव दिया। अशोक ने कहा कि आज की बैठक शहर में कोरोना की स्थिति पर चर्चा के लिए हुई। हमने जनप्रनिधियों को बताया कि अगले दो महीने काफी महत्वपूर्ण हैं। मंत्री ने कहा कि कुछ छोटे अस्पतालों को ऑक्सीजन आपूर्ति की समस्या हो रही है, इसे दूर करने के लिए सरकार नोडल अधिकारी नियुक्त करने पर विचार कर रही है।
अशोक ने कहा कि ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए कुछ कंपनियों के साथ सरकार की बातचीत चल रही है। बैठक में विधायक और सांसदों ने अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता को लेकर भी चिंता जताई। अशोक ने कहा कि निजी अस्पतालों में ५० प्रतिशत सरकारी बिस्तरों की व्यवस्था के लिए विधान सभा क्षेत्रवार नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। सरकार का बचाव करते हुए अशोक ने कहा कि इस साल १४ प्रतिशत ज्यादा आइसीयू बिस्तर की व्यवस्था की गई है।
हालांकि, विपक्ष सरकार के रुख से संतुष्ट नहीं आया। विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार सिर्फ यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि उसने सभी पक्षों से राय ली। कांग्रेस के विधान पार्षद रिजवान अरशद ने कहा कि बैठक में सरकार ने आम लोगों की समस्याओं को लेकर कोई समाधान नहीं रखा। सरकार ने हालात से निपटने की भावी योजनाओं की भी कोई रुपरेखा नहीं दी। सरकार ये बैठक एक महीने पहले भी बुला सकती थी, जब हालात ज्यादा नहीं बिगड़े थे। अन्यथा सरकार धारा १४४ लागू कर हालात को संभाले। पूर्व मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि येडियूरप्पा ने विपक्ष नेताओं के सुझावों पर मंगलवार को मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श कर अंतिम फैसला करने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि कई नेताओं ने राज्य में लॉकडाउन के बजाय धारा 144 लगाने की वकालत की है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को फैसला करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन में समन्वय के अभाव के कारण हालात बद से बदतर हो रही है। महामारी से निपटने के लिए सरकार के पास कोई कार्य योजना नहीं है। राज्य में इतनी संख्या में संक्रमितों को चिकित्सा के लिए क्या व्यवस्था है, इसका सरकार के पास कोई जवाब नहीं है।

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