एक एनजीओ के संस्थापक ने बताया कि होम आइसोलेशन में भी कई मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। ऑक्सीजन सपोर्ट वाले बिस्तर उपलब्ध नहीं होने के कारण कई मरीज घरों में ही ऐसा कर रहे हैं। लेकिन अब सरकारी आदेश के चलते ऐसे मरीजों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रही है। बीते कुछ दिनों से ऑक्सीजन प्लांट पर व्यक्तिगत रूप से पहुंचने वालों के ऑक्सीजन सिलिंडर रीफिल नहीं किए जा रहे हैं। ऑक्सीजन देने के लिए चिकित्सक की पर्ची या डिस्चार्ज पत्र की मांग की जा रही है।
नसीह फाउंडेशन के सबीन एस. ने बताया कि वे उन लोगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहे हैं, जिनके पास सिलेंडर है। लेकिन, अस्पतालों से पत्र प्राप्त करना एक कठिन प्रक्रिया है। 150 सिलेंडर का स्टॉक था। प्रतिदिन करीब 40 सिलेंडर रिफिलिंग के लिए जाते हैं। करीब एक सप्ताह से ऑक्सीजन प्लांट संचालक एनजीओ के सिलेंडर भी लौटा रहे हैं।
राज्य नोडल अधिकारी (ऑक्सीजन वितरण) मुनीष मौदगिल ने बताया कि मार्च में ही निर्देश दिए गए थे कि व्यक्तिगत सिलेंडर लेकर पहुंचे लोगों को ऑक्सीजन की अपूर्ति नहीं हो। जमाखोरी और कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया। हालांकि, जिनके पास चिकित्सक की पर्ची या डिस्चार्ज पत्र है उन्हें सिलेंडर को फिर से भराने में परेशानी नहीं हो रही है। जहां तक संभव हो, ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को अस्पताल में उपचार कराना चाहिए।