सरकार ने प्रत्यारोपण पर करीब तीन करोड़ जबकि जीवन रक्षक दवाओं पर 62.40 लाख रुपए खर्च किए हैं।
Arogya Karnataka-Ayushman Bharat Scheme के तहत अंग प्रत्यारोपण की व्यवस्था नहीं होने के कारण सरकार ने वर्ष 2019 में सरकारी और निजी-पैनल वाले अस्पतालों में सभी BPL मरीजों के लिए मुफ्त अंग प्रत्यारोपण योजना शुरू की थी। फिलहाल हृदय, यकृत और गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा है। सरकार ने 2019 के बजट में इस योजना के लिए 30 करोड़ रुपए अलग रखे थे।
स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर के अनुसार सरकार ने Kidney Transplant के लिए दो लाख रुपए, Heart Transplant के लिए 10 लाख रुपए और Liver प्रत्यारोपण के लिए 11 लाख रुपए की पैकेज दरें तय की हैं। हालांकि, लाभान्वितों के लिए प्रत्यारोपण पूरी तरह से नि:शुल्क है। प्रत्यारोपण के बाद इम्यूनोसप्रेसिव दवा के लिए एक लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है।
केएलइ सोसाइटी डॉ. प्रभाकर कोरे अस्पताल व अनुसंधान केंद्र के के अध्यक्ष प्रभाकर कोरे ने बताया कि अस्पताल में नौ मरीजों का हृदय प्रत्यारोपण हुआ है। इनमें से दो मरीजों को सरकारी योजना का लाभ मिला है।
पत्रिका ने 2015 में उठाया था मुद्दा
उल्लेखनीय है कि जून 2015 में Patrika ने मिल सकती है जिंदगी पर गरीबों के लिए गुर्दा नहीं शीर्षक स्टोरी के माध्यम से इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था। उस समय हालत यह थी कि प्रत्यारोपण के लिए गुर्दा व अन्य अंग मिलने के बाद भी प्रत्यारोपण सहित वर्षों तक चलने वाली दवाओं पर होने वाले लाखों रुपए का खर्च उठा पाना गरीब मरीजों के बूते से बाहर था।
इस वर्ष नौ मरीजों ने कराया प्रत्यारोपण
2019-20 में 23 मरीजों का अंग प्रत्यारोपण हुआ। 2020-21 में नौ मरीज लाभान्वित हुए। 2021-22 में 32 मरीजों को प्रत्यारोपण योजना का लाभ मिला जबकि इस वर्ष जुलाई तक नौ मरीजों को प्रत्यारोपण से नई जिंदगी मिली है।
– डी. रणदीप, स्वास्थ्य आयुक्त
इन अस्पतालों में हुए सभी प्रत्यारोपण
74 मरीजों में से 52 मरीजों का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया। सभी प्रत्यारोपण विक्टोरिया अस्पताल स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रो यूरोलोजी में किए गए। नारायण हेल्थ सिटी के चिकित्सकों ने 10 मरीजों का हृदय प्रत्यारोपण किया जबकि एम. एस. रामय्या नारायण हृदय केंद्र में आठ मरीजों के हृदय का प्रत्यारोपण हुआ। केएलइ सोसाइटी डॉ. प्रभाकर कोरे अस्पताल व अनुसंधान केंद्र में दो के अलावा चिरायु और कर्नाटक इस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में एक-एक मरीज ने हृदय प्रत्यारोपण कराया।