आभूषण से आत्मा पवित्र नहीं हो सकती
आचार्य का विहार आजद सुबह 8.21 पर
आभूषण से आत्मा पवित्र नहीं हो सकती,आभूषण से आत्मा पवित्र नहीं हो सकती
बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण ने महाश्रमण समवशरण बेंगलूरु में चातुर्मास के अंतिम दिन उद्बोधन में कहा कि दुनिया में आभूषणों का महत्व होता है। आभूषण को शरीर पर धारण करने से शरीर की शोभा बढ़ती है, परंतु बाहरी आभूषण भारभूत होते हैं। इनसे शरीर भले ही शोभायमान हो जाए परंतु आत्मा पवित्र नहीं हो सकती। आत्मा की पवित्रता और शोभा के लिए आचार्य ने कहा कि हाथ का आभूषण दान और सेवा होता है। सुपात्र व्यक्ति को दान और रुग्ण की सेवा करना हाथ का आभूषण होता है। गुरु के चरणों में वंदन करना सिर का आभूषण होता है। मुंह का आभूषण उससे निकलने वाले सत्य वचन को बताया। कान का आभूषण शास्त्र वाणी का श्रवण और श्रुत ज्ञान की बात सुनना होता है। हृदय का आभूषण स्वच्छ वृति और सरलता को बताया। व्यक्ति की भुजा का आभूषण ताकत होती है और ताकत भी वह जो दूसरों की सहायता और सेवा में लगे।
बेंगलूरु चातुर्मास की संपन्नता पर कहा कि मिगसर बदी एकम को मुहूर्त का विचार किए बिना साधु को विहार कर देना चाहिए। साधु निरंतर भ्रमण करता रहे, इससे उसे मोह नहीं रहता है। आचार्य ने भिक्षु धाम आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केंद्र को तेरापंथ धर्मसंघ के विशेष संस्थान बताते हुए कहा कि इन दोनों जगह पर धार्मिक गतिविधियां निरंतर चलती रहे, इसकी व्यवस्था समाज को करनी चाहिए।
बेंगलूरु के चातुर्मास के विषय में कहा कि इस चातुर्मास ने धर्म ध्यान त्याग तपस्या बहुत अच्छे तरीके से हुए हैं और सबने निरंतर धर्म ध्यान का लाभ लिया है। बेंगलूरु के समाज को निष्ठावान बताते हुए कहा कि चातुर्मास संपन्न होने के बाद भी धर्म-ध्यान, स्वाध्याय में निरंतरता रखने की प्रेरणा दी और सभी को धार्मिक संस्कार संजोकर जीवन में आगे बढऩे की अभिप्रेरणा दी।
साध्वी सम्बद्धयशा ने कहा कि जो समय को सफल करना चाहता है उसे धर्म ध्यान निरंतर करना चाहिए। बेंगलूरु पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार ने कहा कि आज समाज को भगवान महावीर के सिद्धांतों की जरूरत महसूस है। समाज में अगर वैमनस्य नहीं हो तो सभी समस्याएं हल हो सकती हैं। चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति से मंगल भावना के क्रम में मूलचंद नाहर, दीपचंद नाहर, सोहनलाल मांडोत, प्रकाश लोढ़ा, विमल कटारिया, श्रीचंद दूगड़, कमलेश झाबक, राकेश दूधोडिय़ा, सूरपत चौरडिय़ा ने विचार व्यक्त किए। मनीष पगारिया ने गीत प्रस्तुत किया। साध्वी राजुलप्रभा, साध्वी आस्थाश्री, साध्वी कीर्तिलता ने भी अपनी भावनाएं आचार्य प्रवर के समक्ष प्रस्तुत की। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। आचार्य महाश्रमण बुधवार सुबह 8.21 बजे तुलसी चेतना केन्द्र से विहार कर बिड़दी स्थित ज्ञान विकास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पहुुंचेंगे।