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बैंगलोर

खुश रहने का एक ही तरीका है, दूसरों को खुशी बांटो: सिध्देश्वर गुरुदेव

पैलेस मैदान में मनाया आनंदोत्सव

बैंगलोरJan 15, 2024 / 12:51 pm

Santosh kumar Pandey

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बेंगलूरु. विश्व धर्म चेतना मंच, बेंगलूरु व सिद्धेश्वर तीर्थ ब्रह्मर्षि आश्रम, तिरुपति की ओर से सिद्धेश्वर गुरुदेव का 84वां जन्मदिवस आनंदोत्सव के रूप में मनाया गया। पैलेस मैदान में आयोजित कार्यक्रम में सिद्धेश्वर गुरुदेव की झलक और उनका आशीर्वाद पाने के लिए हजारों श्रध्दालु उमड़े और विशाल पांडाल श्रध्दालुओं का जमघट बन गया।
सिद्धेश्वर गुरुदेव ने कहा, मैं तो तुम्हारी प्रार्थनाओं को पूरा करने के लिए जिए जा रहा हूं। सारी सिध्दियां मिल चुकी हैं। पाने के लिए कुछ बचा नहीं। तुम्हारी प्रार्थनाओं को पूरा करने के लिए ही जी रहा हूं। स्वयं को 24 कैरेट गोल्ड बताते हुए कहा कि मेरे बच्चों मैं आज भी कुटीर में रहता हूं। मैं सुख में साथ आऊं या न आऊं, दुख में जरूर मिलूंगा। मैं दुख में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाला गुरु हूं। तुम्हारा धर्म गुरु कोई भी हो सकता है, मैं जीवन का रक्षक गुरु हूं।
देने से मिलती है खुशी

धन की नि:सारता की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि केवल धन कमाने से जीवन नहीं चलता। नाइजीरिया के एक उद्योगपति के जीवन की मार्मिक कथा सुनाते हुए कहा कि उसके पास दुनियाभर की दौलत थी लेकिन वह प्रसन्न नहीं था। उसके भीतर दरिद्रता थी। लेकिन जब उसने स्कूल में दान किया तो उसे जीवन की सर्वाधिक सुखानुभूति हुई। पाने में खुशी नहीं मिली बल्कि देने में मिलती है। जो देना सीख लेता है, वही पाता है और जो पाता है वह अनमोल होता है।
दु:ख स्वाभाविक, हंसी हमारा चुनाव

तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच उन्होंने कहा कि अजब सी कहानी है इस गजब सी दुनिया की, जीवनभर बटोरने में लगे हैं खाली हाथ जाने के लिए। जाना तो खाली हाथ ही है। कौन क्या लेकर जाएगा। आए थे इस दुनिया में भलाई के लिए और लग गए कागज के टुकड़े बटोरने में। ध्यान रखना कब्र में आलमारी और कफन में जेब नहीं होती। और तो और, मौत के फरिश्ते रिश्वत भी नहीं लेते। इसलिए धन कमाओ लेकिन खुश होकर। जीवन को जीवंतता के साथ जिओ। जीवन में मानवता के लिए कार्य करना। जीवन का आनंद लेना, शिकायत नहीं करना। मेरा चेहरा कभी उदास नहीं देखा होगा। मैंने निश्चय किया है कि हर परिस्थिति में खुश रहूंगा। दुख स्वाभाविक है लेकिन हंसना हमारा चुनाव है। शांति हमें चुननी पड़ती है। खुश होने का समय अभी है, अगला पल क्या हो कौन जानता है। खुश होने की जगह जहां हो वहीं है। इसलिए खुशी को टालो मत। अभी हंसो।
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इसके पहले मंडप में भक्तिभाव से श्रध्दासिक्त गीतों के साथ उनका जन्मदिन मनाया गया। हैप्पी बर्थ टू यू और मेरे गुरुदेव आए हैं, गाते हुए श्रध्दालुओं ने उनका स्वागत किया। ओम सिध्देश्वराय, ओम गुरुवानंदाय जैसे मंत्रोच्चार से माहौल भक्तिमय बना रहा। बेंगलूरु के भाग आज खुल गए हैं, गुरुदेव आए हैं जैसे भक्तिगीतों पर समूचा पांडाल थिरकता रहा। उनके आगमन पर भक्तों ने थिरकते हुए, ताल से ताल मिलाते हुए स्वागत किया।
उपमुख्यमंत्री शिवकुमार भी पहुंचे

समारोह में गुरुदेव से आशीर्वाद लेने सपरिवार पहुंचे उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि मैंने कल गुरुदेव को कुछ विधायकों से मिलवाया था। जब से उनसे मिला हूं ऐसा लगता है जैसे किसी दिव्य शक्ति से मिला हूं। उन्होंने चिकबल्लापुर के पास गुरुदेव का आश्रम खोलने में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। इस मौके पर योजना व सांख्यिकी मंत्री डी सुधाकर ने गुरुदेव से आशीर्वाद लिया।
समारोह में ब्रहर्षि आश्रम तिरुपति के चेयरमैन राजकुमार सिपानी, अध्यक्ष रमेश सांखला, सलाहकार बोर्ड के सदस्य तेजराज गुलेच्छा व संजय लुकड़, राजेन्द्र जैन, इंटरनेशनल यूथ प्रसीडेंट नवीन गिरिया ने गुरुदेव का स्वागत किया। संचालन नवीन गिरिया ने किया।
रमेश सांखला ने बताया कि गुरुदेव के जन्मदिन के उपलक्ष्य मेंं बेंगलूरु शाखा की ओर से ने 500 यूनिट रक्त संग्रह और 500 कृत्रिम पांव वितरण, 500 मरीजों को डायलिसिस कराने का संकल्प लिया गया। अंत में गुरुदेव ने लोगों के स्वास्थ्य व विश्व शांति के लिए प्रार्थना की और मांगलिक दिया।

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