उन्होंने कहा कि अधिक संख्या में लड़कियां बागवानी और कृषि विज्ञान में प्रवेश ले रही हैं। देश में यह कोर्स करने वालों में 35 फीसदी लड़कियां हैं। अकेले केरल में लगभग 60 प्रतिशत लड़कियां कृषि और बागवानी पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले रही हैं। लड़कियां बागवानी विज्ञान और अनुसंधान में शामिल हैं। महिलाएं सभी क्षेत्रों में हैं। देश में कई महिलाओं ने बागवानी को उद्यमिता के रूप में अपनाया है। स्वयं सहायता समूहों का सहयोग भी है।
आइआइएचआर ने भी उद्यमिता के रूप में बागवानी करने वालों को सभी सहायता प्रदान की है। कृषि क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं का अहम योगदान है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की तरह बागवानी क्षेत्र में भी रोजगार के (Like in IT field, in horticulture sector too providing employment opportunities.) अवसर हैं।
उत्तर पूर्वी राज्यों, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के हजारों किसान ऑनलाइन माध्यम से तकनीकी सत्र में शामिल हुए। उत्तर पूर्वी राज्यों के कई किसानों ने आम की खेती और प्रबंधन संबंधित सवाल पूछे। वैज्ञानिकों ने इन राज्यों के आम उत्पादकों को वृक्षारोपण, प्रबंधन, फसलों की नई किस्मों और कटाई के बारे में जानकारी दी। वैज्ञानिकों ने उत्तर पूर्वी राज्यों के किसानों को यम फल और कोलोकेसिया की खेती का सुझाव दिया।
आइआइएचआर (Indian Institute Horticultural Research) के वैज्ञानिक डॉ. बालकृष्ण, डॉ. अनिल कुमार नायर, डॉ. अंजनी कुमार झा और डॉ. राजीव कुमार ने भी तकनीकी सत्र में भाग लिया।