कंपोजिट श्रेणी शराब की दुकानों की विभाग में चालान के जरिए सिक्यूरिटी जमा होती है। इसमें आठ प्रतिशत अमानत राशि एवं 18 प्रतिशत धरोहर राशि होती। धरोहर राशि वित्तीय वर्ष में एडजेस्ट कर दी जाती है। जबकि अमानत राशि वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर लाइसेंसियों को वापस लौटाई जाती है। अमानत राशि दुकान की वार्षिक गारंटी का आठ प्रतिशत होती है। बताया गया कि वर्ष 2017-18 की करीब 30 लाख रुपए अमानत राशि लौटाने के लिए आठ दस लाइसेंसियों ने आवेदन लगाए तो इस गफलत का भांडा फूटा।
बताया गया कि उक्त राशि का विभाग में कोई ब्योरा ही नहीं मिला। इस पर 19 जून 2019 को जिला आबकारी अधिकारी देवेन्द्र गिरी ने लाइसेंसियों को नोटिस थमाते हुए कहा 4 सितंबर 2017 को जो बैंक चालान प्रस्तुत किया गया था वह चालाान राजकोष में जमा नहीं हुआ है। इसलिए तत्काल बैंक शाखा में सम्पर्क कर उक्त चालान का स्टेटस पता करें। साथ ही उक्त राशि मय ब्याज जमा कराकर कार्यालय को सूचित करें। अन्यथा नियमानुसार वसूली कार्रवाई शुरू की जाएगी।
इधर, विभाग के नोटिस के बाद घबराए लाइसेंसी संबंधितों बैंकों में पहुंचे तो वहां बैंक ने भी कारोबारियों को यह कहते हुए चलता कर दिया कि बैंक ने चालान राशि उसी समय भेज दी थी। अब नहीं पहुंचे तो उसमें उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है और दो साल तक संपर्क क्यों नहीं किया गया।
इस मामले को लेकर विभाग कठघरे में आ गया है। आखिर इतनी बड़ी सरकारी राशि खजाने में नहीं पहुुंची तो फिर गई कहां?
राशि विभाग तक नहीं पहुंची तो आबकारी विभाग के जिला आबकारी अधिकारी से लेकर निरीक्षक, लेखा शाखा के अधिकारी एवं वहां कार्य करने वाले कार्मिकों को इसकी खबर क्यूं नहीं लगी ?
राशि जमा हुए बगैर परमिट कैसे जारी कर दिए गए ?
बैंक से इस राशि के बारे में पता करवाया जा रहा है। लाइसेंसियों को भी नोटिस दिया गया और उनसे भी पड़ताल करवाई है।
देवेन्द्र गिरी, कार्यवाहक जिला आबकारी अधिकारी, आबकारी विभाग बांसवाड़ा