scriptराजस्थान में यहां धरती का सीना खोद ‘सोना’ निकाला, तिजौरियां भर रहे, मगर कुदरत के घाव नहीं भर रहे | In Rajasthan, people dug out gold and took out gold, filling their coffers, but nature's wounds are not healing | Patrika News
बांसवाड़ा

राजस्थान में यहां धरती का सीना खोद ‘सोना’ निकाला, तिजौरियां भर रहे, मगर कुदरत के घाव नहीं भर रहे

Rajasthan News : धरती का सीना भेदकर मार्बल, सोप स्टोन और कई तरह के मिनरल्स निकाल सरकार और मार्बल कारोबारी तिजौरियां भर रहे हैं, लेकिन प्रकृति के ‘घाव’ भरने में किसी की दिलचस्पी नहीं है। खनन क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के प्रोजेक्ट न के बराबर चल रहे हैं।

बांसवाड़ाJun 07, 2024 / 12:58 pm

Omprakash Dhaka

District Mineral Foundation Fund
Banswara News : धरती का सीना भेदकर मार्बल, सोप स्टोन और कई तरह के मिनरल्स निकाल सरकार और मार्बल कारोबारी तिजौरियां भर रहे हैं, लेकिन प्रकृति के ‘घाव’ भरने में किसी की दिलचस्पी नहीं है। खनन क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के प्रोजेक्ट न के बराबर चल रहे हैं। यहां तक कि जिला खनिज फाउंडेशन निधि (डीएमएफटी) में भी बंदरबांट हो रही है।
खनन से राज्य सरकार को मिल रहे राजस्व के अलावा प्रभावित क्षेत्रों के लिए जुटाए जा रहे करोड़ों के फंड का समय पर इस्तेमाल ही नहीं हो रहा। खनन से जुड़े इलाकों में पर्यावरण संरक्षण हो या प्रभावित क्षेत्रों के लोक हित के काम, बांसवाड़ा जिला मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट बीते कई सालों से सुस्त और पस्त है।
खान एवं भू विज्ञान विभाग हर साल ट्रस्ट के मद में खनन से करोड़ों रुपए बटोर रहा है। पिछले साल भी यह सिलसिला चला। मौजूदा समय में स्थिति यह है कि ट्रस्ट के पास करीब दस करोड़ रुपए का बैलेंस है। इसके बावजूद इसकी मंजूरियों के पेंच फंसे हुए हैं।
दरअसल, जनहित के कार्यों के तखमीने पेश करने पर ट्रस्ट केवल फंड देकर दायित्व की इति कर देता है। जिम्मेदार विभागों पर प्रशासन की कोई मॉनिटरिंग नहीं हो रही। हालांकि विभाग का दावा है कि उसने वन विकास के लिए वन, राजस्व विभाग और प्रशासन पौधरोपण के लिए बंजर भूमि मांगी थी लेकिन वह नहीं मिली। इस साल मानसून के दौर में एक हजार पौधे लगाने का विभाग का लक्ष्य है।

यह चला सिलसिला

खान विभाग के अनुसार ट्रस्ट की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में 29 अगस्त, 2023 को 33 कार्यों का अनुमोदन हुआ। उसके बाद वित्त विभाग में दिसम्बर में आदेश जारी कर प्रशासनिक स्वीकृति जारी करने पर रोक लगा दी, जिससे मंजूरियां अटक गई। जनवरी, 2024 में शिथिलता मिली तो लाखों रुपए के 25 कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति जारी हुई, लेकिन फिर वित्तीय स्वीकृति पर चुनाव आचार संहिता का अड़ंगा लग गया। इनमें भी दस कार्यों को हाल ही में वित्तीय स्वीकृति मिली, वहीं नए वित्तीय वर्ष की तिमाही में कोई नया काम शुरू नहीं हुआ है।

वन विकास के कम, अन्य कार्य ज्यादा

डीएमएफटी की प्रबंधन समिति की ओर से जारी प्रशासनिक स्वीकृति में वन विकास से जुड़े चार कार्य करीब 45 लाख रुपए के हैं। इसके दीगर, स्कूलों में कमरे, छात्रावासों में संसाधनों की उपलब्धता, जिला अस्पताल परिसर के विभिन्न हिस्सों के रखरखाव और मरम्मत, नाला, रपट और पुलिया निर्माण के कार्य हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि पालोदा क्षेत्र के माइंस ऑर्नर्स ने अपने स्तर पर मठ मंदिर के डेढ़ हैक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण किया है।

इनका कहना है…

चुनाव आचार संहिता अवधि अब खत्म होने को है। ट्रस्ट की अगली मीटिंग में स्वीकृतियां जारी कर विकास कार्य करवाए जाएंगे।

– गौरव मीणा, खनि अभियंता, बांसवाड़ा

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