उन्होंने तीखे लहजे में दोनों विभागों के अधिकारियों से कह दिया कि ‘ उनकी ढिलाई और लापरवाही के कारण सरकार की बदनामी हो रही है। अगली बार से ऐसा नहीं चलेगा। ऐसा हुआ तो मुर्गा बना दूंगा। अगली बार तैयारी करके आना और सुधर जाना।’
वहीं बैठक में चिरोला तालाब में मिट्टी खोदने के मामले में अनापत्ति देने मामले में विधायक मालवीया ने खनिज विभाग के अधिकारी से जानकारी ली। इस दौरान जब अधिकारी नियमों का हवाला देने लगे तो मालवीया ने पेसा एक्ट के हवाला देते हुए कहा दिया कि चोर हो। करोडों खा गए। उनका संदर्भ अशोक सिंघवी से जुड़ा था। इस दौरान संसदीय सचिव भीमा भाई डामोर, कलक्टर भगवती प्रसाद भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि पंचायतीराज राज्यमंत्री धनसिंह रावत की जुबान फिसने का यह कोई पहला मामला नहीं है। मंत्री ने इस महीने में हुए मुख्यमंत्री जल स्वाम्बन अभियान के तहत आयोजित कार्यशाल में विवादित बयान दिया था। उन्होंन कहा था यदि राजस्थान के अफसर होते तो जल स्वालम्बन अभियान सफल नहीं हो पाता। उन्होंने कहा था कि प्रदेश और जिले के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पानी की कमी थी और वहां पानी को सहजने के लिए एक अच्छे अभियान की सख्त आवश्यकता थी। हमने मुख्यमंत्री से आग्रह किया था कि योजना बनाओ तो उसमें राजस्थान अधिकारियों को शामिल मत करना वरना वह सफल नहीं होगा।
‘हमने तो चपरासी पैदा किए, कहां से लाएं डॉक्टर’
हमने चपरासी पैदा किए, हमने अध्यापक पैदा किए लेकिन 15—20 लाख की आबादी में 15 डॉक्टर पैदा नहीं किए तो कहां से लाए डॉक्टर। हमने न तो अधिकारी पैदा किए और न ही अच्छी सेवा में जाने वाले अधिकारी पैदा किए तो परेशानी तो आएगी ही। पंचायतीराज राज्यमंत्री धनसिंह रावत ने उस समय कही जब शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन का लोकार्पण करने के बाद आयोजित सभा में चिकित्सक लगाने की मांग की गई थी।