scriptवागड के खडग़दा में मुरारी बापू की चौथी बार रामकथा आज से, नौ दिन मोरन के तट पर बहेगी मानस गंगा | Morari Bapu's fourth ram Katha in Kharagada from today | Patrika News
बांसवाड़ा

वागड के खडग़दा में मुरारी बापू की चौथी बार रामकथा आज से, नौ दिन मोरन के तट पर बहेगी मानस गंगा

वागड में सागवाड़ा से नौ किलोमीटर दूर खडग़दा स्थित मोरन नदी के तट पर अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मुरारी बापू की नौ दिवसीय रामकथा आज शुरू होगी।

बांसवाड़ाMay 18, 2019 / 09:29 am

deendayal sharma

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वागड के खडग़दा में मुरारी बापू की चौथी बार रामकथा आज से, नौ दिन मोरन के तट पर बहेगी मानस गंगा

बांसवाड़ा/सागवाड़ा. सागवाड़ा से नौ किलोमीटर दूर लोढ़ी काशी के रूप में विख्यात खडग़दा स्थित मोरन नदी के तट से शनिवार से नौ दिवसीय रामकथा शुरू होगी। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मुरारी बापू का आज वागड़ की धरा पर एक बार फिर मंगल प्रवेश होगा। राम कथा शनिवार को दोपहर दो बजे से प्रारंभ होगी। अन्य दिनों में कथा सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक होगी।
बापू सन् 1993 की नव दिवसीय राम कथा के बाद 26 वर्ष के लम्बे अंतराल के बाद आ रहे हैं। व्यास पीठ हनुमानजी का बड़ा फ्लेक्स बोर्ड लगाया है। पांडाल मेंं चार बड़े एलसीडी लगाए हैं। पांडाल में एसी व पंखों के साथ व्यापक रोशनी की व्यवस्था की है। व्यास पीठ के सामने पांडाल की छत पर भगवान हनुमान का नयनाभिराम चित्र लगाया है। पांडाल में पहुंचने व निकासी के लिए बने गलियारे में फव्वारे लगाए हैं।
बापू की 828वीं कथा
बापू की खडग़दा में आयोजित कथा 828वीं होगी। इससे पूर्व 827वीं कथा ‘मानस हनुमाना’ दक्षिण अफ्रीका के रवांडा में हुई। बापू का खडग़दा में चौथी बार आगमन हो रहा है। उन्होंने पहली बार सन् 1990 एक दिवसीय, सन् 1992 में दो दिवसीय तथा 1993 में नव दिवसीय कथा की थी। उसके बाद से ही उनको फिर खडग़दा में लाने के प्रयास चल रहे थे। खडग़दा में इससे पूर्व रमेश भाई ओझा, योगगुरु बाबा रामदेव, साध्वी ऋतम्भरा सहित कई ख्यातनाम संतों का सान्निध्य मिला है।
आज पौथी यात्रा
शनिवार को कथा के प्रारंभ में गांव में पौथी के साथ महिलाओं की कलश यात्रा निकलेगी। कलश यात्रा लक्ष्मीनारायण मंदिर होकर कथा स्थल चित्रकूट धाम पहुंचेगी। यहां मोरारी बापू पौथी को स्वीकार करेंगे।
मानस की चौपाई कथा की केन्द्र बिन्दु
पूर्व में हुई कथाओं की तरह खडग़दा की कथा का मुख्य केन्द्र रामचरित मानस की चौपाई होगी। नव दिवसीय कथा का मुख्य विचार केन्द्र यही रहने से इसी अनुरूप कथा का नामकरण होगा। बापू प्रतिदिन कथा की शुरुआत व समापन इसी चौपाई के सामूहिक गान से करेंगे।

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