यह हाल पंचायत समिति क्षेत्र में कोई नए नहीं बरसों से हैं। इन सबके बावजूद न तो किसी अधिकारी ने कोई ठोस कार्रवाई की और न ही कोई जनप्रतिनिधि आगे आया। अव्यवस्थाओं के कारण लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।जारी है मौतों का सिलसिला,ट्रैफिक पुलिस नदारद
परतापुर कस्बे में तेज गति से गुजरने वाले भारी वाहनों की चपेट में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी हंै।इनसे कस्बा हादसों के कस्बे के रूप में बदनाम हो गया है। इस मार्ग पर नवागांव से लेकर मोर तक कई जगह बड़े गड्ढ़े होने से आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए ट्रैफिक पुलिस के इंतजाम तक नहीं हैं।चार की हुई मौत
यहां पर 29 अपे्रल 2017 शाम 4 बजे पुराना बस स्टैण्ड पर गोपीनाथ का गढ़ा में सेवारत एलएचवी विमला खराड़ी की निजी बस की टक्कर से मौत।2 जून 2017 सुबह 10 बजे आशापुरा मोड़ पर ट्रोले की टक्कर से बाइक सवार गोपीनाथ का गढ़ा निवासी ललित यादव की मौत।3 जून 2017 रात करीब 10 बजे गढ़ी तहसील कार्यालय के पास ट्रोले की चपेट से चौपासाग (गढ़ी) निवासी पुनित मगरदा की मौत।12 मार्च 2014 को भी दोनो बस स्टैंडों के बीच चीतरी निवासी साजिया खान पत्नी आसिफ खान की ट्रोले की चपेट में आने से मौत हो गई थी।अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर दो बैठक, डेढ़ माह बाद भी नहीं शुरू हुआ अभियानमुख्य सड़क पर अतिक्रमण हटाने एवं यातायात व्यवस्था सुधार को लेकर इस वर्ष में दो बैठक हो चुकी हैं। उपखंड अधिकारी रागिनी डामोर के सान्निध्य में हुई इन बैठकों में कई अधिकारी ओर जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। पहली बैठक 4 मई 2017 को हुई, जिसमें अतिक्रमण हटाने एवं यातायात व्यवस्था सुधारने के अलावा निजी मिनी बसों, ऑटो, टैक्सी एवं ठेला गाड़ी एसोसिएशन से बातकर उसके लिए स्थान निर्धारित करने सहित कई निर्णय किएगए।
साथ ही संबंधित सरपंच एवं सचिवों को अतिक्रमण हटाने संबंधी नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए थे। दूसरी बैठक18 मई को हुई, जिसमें इसकी समीक्षा कर 22 मई से कार्रवाई करने का निर्णय किया गया था। बैठक के बाद अफसरों ने नया व पुराना बस स्टैण्ड से लेकर परतापुर के मुख्य बाजार का दौरा कर अतिक्रमण का जायजा लिया था। और महज जायजा से ही प्रशासन ने इतिश्री कर ली।