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बांसवाड़ा

बांसवाड़ा अस्पताल में दो साल से पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड गायब, सर्जरी के बाद साधारण वार्ड में भेजे जा रहे मरीज

बांसवाड़ा. जिले का सबसे बड़ा अस्पताल, लेकिन ऑपरेशन के बाद भर्ती रहने वाले मरीजों के लिए इंतजाम आम। बात हास्यास्पद भले ही लगे, लेकिन मुख्यालय पर यह हकीकत है। यहां महात्मा गांधी चिकित्साल में करीब दो साल से पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड ही बंद है। इसके चलते छोटी-बड़ी सर्जरी के बाद मरीज सीधे साधारण मेल-फिमेल में भेजे जा रहे हैं, जहां आम रोगियों की तरह उनकी देखभाल हो रही है।

बांसवाड़ाJan 20, 2020 / 01:57 pm

Varun Bhatt

बांसवाड़ा अस्पताल में दो साल से पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड गायब, सर्जरी के बाद साधारण वार्ड में भेजे जा रहे मरीज

बांसवाड़ा अस्पताल में दो साल से पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड गायब, सर्जरी के बाद साधारण वार्ड में भेजे जा रहे मरीज


ताज्जुब यह कि हर हफ्ते-पंद्रह दिन में यहां जयपुर मुख्यालय से अधिकारी मुआयने के लिए आते हैं, लेकिन दूसरे आईसीयू माने जाना वाला पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड कहां है, इसकी पूछ-परख तक नहीं की। सूत्र बताते हैं कि यहां अस्पताल के भीतरी हिस्से में जहां अभी शिशु वार्ड है, वह पहले पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड ही था। 2016-17 के दरम्यान तत्कालीन पीएमओ ने अचानक उस वार्ड को बंद कर दिया और नीचे चल रहे शिशु वार्ड को यहां शिफ्ट किया। उनके बाद दो पीएमओ और बदल गए, लेकिन पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड के मायने ही नहीं समझे गए। सूत्र बताते हैं कि उस समय स्टाफ की कमी और मौजूदा टीम द्वारा पोस्ट ऑपरेटिव को आम मरीजों जैसी उपचार व्यवस्था दिए जाने पर तत्कालीन पीएमओ ने वार्ड ही औचित्यहीन मानकर मर्ज कर दिया। तब से यहां वहीं सिलसिला चल रहा है।
इसलिए है जरूरी : – शायद ही जिला मुख्यालय का कोई अस्पताल ऐसा हो, जहां पोस्टऑपरेटिव वार्ड नहीं है। कारण कि सर्जरी के बाद जटिलता, टांकों में इन्फेक्शन यानी टांकों में पकाव, डोपामिन का मरीज होने पर मेंटेन करने सहित सर्जरी के बाद अनचाहे साइड इफेक्ट पर मरीज को बचाने के लिए पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में खास देखभाल करनी ही होती है। दो-चार दिन बिना दूसरे के संपर्क के रोगी जब अलग विशेष उपचार लेता है, तभी वह भविष्य में सर्जरी के साइड इफेक्ट से उबर पाता है। इस वार्ड की अहमियत के चलते ही आईसीयू की तरफ ट्रेंड और अनुभवी पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में लगाया जाता है, लेकिन बांसवाड़ा में ऐसा कुछ नहीं है।
स्टाफ संकट का बेमायने तर्क : – अस्पताल में इस सेवा में कमी के पीछे तर्क वही स्टाफ की कमी को दिया जा रहा है, जबकि मौजूदा स्टाफ का रेकॉर्ड देखें तो डेढ़ सौ से ज्यादा प्रथम और द्वितीय श्रेणी नर्स होते हुए रिक्त पद शून्य ही है। हालांकि गायनिक, शिशु सहित अन्य वार्डों के विस्तार से उनमें भी स्टाफ लगाने से थोड़ी-बहुत कमी प्रतीत होती रही है, इससे पहले स्टाफ काफी कम था। बावजूद इसके पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड बखूबी चलता रहा, लेकिन लचर प्रबंधन के आगे यह वार्ड विलुप्त हो चुका है। इधर, नर्सिंग अधीक्षक नवनीत सोनी ने बताया कि स्टाफ की कमी है। इसके चलते वार्ड चालू नहीं है। मरीजों की मेल-फिमेल वार्ड में ही देखभाल कर रहे हैं।

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