– ‘एतकाफ’ में बैठने वाला मोमिन रोजा जरूर रखें।
– समझ दुरुस्त होना। सूझबूझ दुरुस्त न रखने वाला इंसान नीयत नहीं कर सकता।
– मस्जिद के अलावा मर्दों का ‘एतकाफ’ कहीं और जायज नहीं है।
– शरीर का पाक होना। नापाकी की हालत में मस्जिद में ठहरना जायज नहीं है।
– बिना वजह मस्जिद से बाहर निकलना।
– नशीली चीज खाने से बुद्धि खो देना।
– ‘एतकाफ’ की नीयत खत्म कर देना। बहुत ऊंचा दर्जा
रमजान में नबी पाक ने पाबंदी के साथ ‘एतकाफ’ किया। इसलिए इसका बहुत ऊंचा दर्जा है। खुदा इंसान के गुनाहों को माफ कर देता है और नेकियों में इजाफा होता है। ‘एतकाफ’ में बैठने वाले को दो हज और एक उमरे का सवाब मिलता है। गुरुवार को सूर्यास्त के बाद मर्द मस्जिदों में ‘एतकाफ’ में बैठ गए। ईद का चांद दिखाई देने पर ‘एतकाफ’ पूरा होगा।
– मुफ्ती आसिफ मिस्बाही, दारुल उलूम गरीब नवाज, बांसवाड़ा।