दरअसल पूरा मामला बाराबंकी की जिला पुरुष चिकित्सालय से जुड़ा हुआ है,जहां वकील और डाक्टरों की कहासुनी इस हद तक बढ़ गई कि पूरे अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। वकीलों पर धमकाने और अभद्रता करने का आरोप लगाकर सभी डाक्टरों ने हड़ताल कर दी। डाक्टरों की मांग थी कि दोषी वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वहीं इस बवाल के दौरान मारीजन काफी परेशान हुए। मरीज के परिजनों ने बताया कि कोई डाक्टर इलाज करने के लिए तैयार नहीं है। हम लोग पूरे अस्पताल में परेशान होकर घूम रहे हैं।
डॉक्टर राघवेंद्र सिंह ने बताया कि वह ओपीडी में बैठकर मरीजों को देख रहे थे, तभी एक वकील उनके पास आए और कहा कि चलकर मेरी माता जी को देख लीजिए। मैंने उनसे कहा की मरीज को यहां लेकर आइये, तब वह उन्हें लेकर मेरे पास आए। मैंने चेकअप करने के बाद उनको इंजेक्शन लगाने के लिए कहा और वकील अपने मरीज को लेकर चले गए। डाक्टर ने बताया कि दो घंटे के बाद कई वकील आए और हमसे मारपीट और गालीगलौज करने लगे। जिसके बाद हम लोगों ने उनको मन किया तो वह और भड़क गए इसलिए हम लोगों में काम बंद कर दिया।
वहीं वकीलों का कहना है कि डाक्टर ने मरीज का सही से इलाज नहीं किया और हम लोगों से बदतमीजी की। वकीलों का आरोप था कि डाक्टर पहले भी उनके साथ इसी तरह का व्यवहार कर चुके हैं। वकीलों ने कहा कि हम लोगों ने किसी के साथ मारपीट और अभद्रता नहीं की।