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बाराबंकी

घाघरा की उफनाती धारा में समाने लगे कई गांव

अपने आशियानों को तोडऩे पर मजबूर हुए लोग, बाढ़ प्रभावित लोगों के साथ अधिकारियों में भी हड़कंप।
 

बाराबंकीAug 31, 2018 / 09:21 pm

Ashish Pandey

flood

घाघरा की उफनाती धारा में समाने लगे कई गांव

बाराबंकी. जिले में घाघरा नदी का जलस्तर लगातार बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के चलते फिर बढऩे लगा है। नदी का घट रहा जलस्तर एक बार फिर बढऩे लगा और खतरे के निशान काफी ऊपर पहुंच गया है। बारिश के साथ ही जलस्तर दोबारा बढऩे से तटवर्ती गांवों के लोग परेशान हैं। बारिश में तटबंधों पर बसे लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं। जबकि सूरतगंज के कचनापुर समेत कई गांव में कटान भी और तेज हो गई है। घाघरा की हाहाकार से बाढ़ प्रभावित लोगों के साथ ही अधिकारियों में भी हड़कंप का माहौल है।
जिले के बाढ़ प्रभावित तराई इलाकों में घाघरा का जलस्तर बढऩे और कटान से होने वाली तबाही बदस्तूर जारी है। सूरतगंज, रामनगर और सिरौलीगौसपुर तहसील के गई गांवों में तेजी से कटान हो रही है। कचनापुर के अलावा कोरडी, हेतमापुर, बाबा पुरवा, सरसंडा, जमका और खुज्जी समेत तटवर्ती गांवों की जमीन नदी में कट रही है।
तटबंध पर शरण लेने को मजबूर हैं
दर्जनों गांव के लोगों के आशियाने कटान की जद में आने से जमींदोज होना शुरू हो गए हैं। खेत भी कटकर नदी में बह रहे हैं। ऐसे में लोग अपने परिवार और गृहस्थी का सामान लेकर सुरक्षित ठिकानों की ओर पलायन करके तटबंध पर शरण लेने को मजबूर हैं। कचनापुर गांव में भी बीते कई दिनों से घाघरा नदी लगातार कटान कर रही है। गांव के बाशिंदे अपने घर खुद उजाडऩे को विवश हो गए हैं। नदी में कट रहे कचनापुर गांव के कुछ लोग अपने पक्के मकान को उजाड़कर उसका ईंटा और दूसरा सामान निकाल रहे हैं ताकि दूसरे स्थान पर घर बनाने में मदद मिल सके।
कई दुश्वारियां बढ़ रही हैं
बाढ़ प्रभावित गांवों में ग्रामीणों का कहना है कि सामने और भी कई दुश्वारियां बढ़ रही हैं। एक तरफ जहां संक्रामक बीमारी फैल रही हैं तो वहीं फसलें भी चौपट हो गई हैं। राहत सहायता के नाम पर महज खाद्यान्न और पन्नी बांटकर जिला प्रशासन किनारा कस ले रहा है। वहीं कुछ ग्रामीणों का कहना है कि चारों तरफ पानी भरने के चलते बिजली विभाग ने सप्लाई भी काट दी है। जो बाढ़ से राहत मिलने के कई महीनों बाद तक चालू नहीं होगी। ग्रामीणों ने बताया कि भले ही उनके गांवों में बिजली न आए लेकिन विभाग इस दौरान का भी बिल उनसे वसूल करेगा।
…तो शायद उनके लिए थोड़ी आसानी होती
तराई इलाके में चारों तरफ बाढ़ ने ऐसा हाहाकार मचा रखा है कि कई गावों में तो लोग नांव पर ही अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हैं कि महिलाएं नांव के ऊपर ही किसी तरह चूल्हा जलाकर अपना और अपने परिवार का पेट भर रही हैं। बाढ़ के पानी में भीगी लकडिय़ों से चूल्हा जलाना बड़ी चुनौती होती है। लेकिन, पेट की आग बुझाने के लिए इन भीगी लकडिय़ों को जैसे-तैसे जलाना ही पड़ता है। गांव के इन लोगों का कहना है कि उज्जवला योजना के अंतर्गत अगर इन लोगों को लाभ मिला होता तो शायद उनके लिए थोड़ी आसानी होती।
गांवों को अलर्ट कर दिया गया है
वहीं बाढग़्रस्त इलाकों की इन समस्याओं पर जिलाधिकारी उदय भानु त्रिपाठी का कहना है कि पानी बढऩे के दृष्टिगत तटवर्ती गांवों को अलर्ट कर दिया गया है। राहत सामग्री भी बांटी जा रही है। डीएम के मुताबिक कई गांवों में नदी की कटान भी काफी तेज है जिसके चलते उन लोगों को वहां से हटाकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। गांव में कई लोगों के नाव पर जिंदगी गुजारने और उसी पर चूल्हा जलाकर परिवार का पेट भरने के सवाल पर उदय भानु त्रिपाठी ने बताया कि गांव में चारों तरफ पानी भरा है फिर भी गांव वाले वहां से बाहर नहीं आ रहे, उन्हीं लोगों की सहायता के लिए गांव में नाव लगवाई गई हैं। वहीं बाढ़ प्रभावित कई परिवारों को उज्जवला योजना का लाभ न मिलने पर जिलाधिकारी ने कहा कि ग्राम स्वराज अभियान के तहत इस योजना से वंचित लोगों को लाभ दिलाया जाएगा।
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