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बारां

आग लग जाए तो तत्काल बाहर भाग जाएं

चिकित्सालय में आगजनी की घटनाओं पर तत्काल काबू पाने के कोई प्रबंध नहीं हैं। पूर्व में यहां कई छिटपुट हादसे होते रहते हैं। हालांकि इनसे

बारांNov 02, 2018 / 01:50 pm

Ghanshyam

baran

fire in hospital

जिला चिकित्सालय में नहीं आग बुझाने के सामान
नए व पुराने भवन में अब बिछा रहे हैं पाइप लाइन
बारां. करीब 13 लाख की आबादी वाले बारां जिले का सबसे बड़ा चिकित्सा केन्द्र जिला चिकित्सालय में आगजनी की घटनाओं पर तत्काल काबू पाने के कोई प्रबंध नहीं हैं। पूर्व में यहां कई छिटपुट हादसे होते रहते हैं। हालांकि इनसे अब तक कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन आग के विकराल होने पर लोगों की जान पर आफत आ सकती है। इसके बावजूद पूरे चिकित्सा भवन को अग्निशमन यंत्रों के दायरे में लाने के प्रयास गति नहीं पकड़ रहे। इनके लिए जिला चिकित्सालय में अब बंदोबस्त किए जा रहे हैं। इसके लिए पुराने भवन में भी पाइप लाइन बिछाने व प्वॉइंट देने का काम किया जा रहा है। यहां एमसीएच भवन में तो भवन निर्माण के साथ ही फायर फायटिंग सिस्टम लगा दिए गए थे, उसके बाद जिला चिकित्सालय की ओर से नगरपरिषद के अग्निशमन केन्द्र से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) के लिए आवेदन भी किया गया था, लेकिन कार्य अधूरा होने के कारण अब तक एनओसी नहीं मिली है।
लेनी होगी अग्निशमन केन्द्र की मदद
जिला चिकित्सालय में अनहोनी होने की स्थिति में चिकित्सालय के विभिन्न वार्ड, गैलरी, कक्ष आदि तक पानी पहुंचाने की जरुरत रहेगी। इसके लिए अगिनशमन केन्द्र से मदद लेनी ही पड़ेगी। केन्द्र को तत्काल सूचना देने के बाद वाहन वहां पहुंचेंगे तथा वाहनों को बाहर खड ़ेकर उनके टैंकों को अस्पताल के अग्निसुरक्षा यंत्रों से जोडक़र पानी की आपूर्ति की जाएगी। इससे जिस क्षेत्र में आग लगेगी, वहां तक सहजता से पानी पहुंच जाएगा।
नए के साथ पुराने भवन में भी काम
सरकार की ओर से चिकित्सकीय मापदंडों के तहत नवनिर्मित चिकित्सालय भवनों में अग्निसुरक्षा इंतजाम के तहत एमओयू किया गया है। एमओयू के मुताबिक संवेदक कम्पनी की ओर से जिला चिकित्सालय में काम शुरू कर दिया था। इसके तहत चिकित्सालय के नवनिर्मित आउटडोर भवन के अलावा उससे सटे मेल मेडिकल व फिमेल मेडिकल वार्ड, गैलरी, कॉटेज वार्ड, प्रथम तल पर स्थित मेल-फिमेल सर्जिकल वार्ड, आर्थोंपेडिकल वार्ड, समेत अन्य स्थानों पर भी पाइप लाइन लगाई गई है। इसके साथ दबाव से पानी फेंकने के लिए जगह-जगह वाल्व लगाए गए हैं।
कर्मचारियों को देना चाहिए प्रशिक्षण
अग्निशमन सूत्रों का कहना है कि आगजनी की स्थिति में जितना संभव हो उतनी कुशलता से अस्पताल से बाहर निकलना चाहिए। कुछ रोगी चलने में सक्षम नहीं होते हैं। उनको उठाकर ले जाने, व्हील चेयर को धक्का देने आदि के लिए पर्याप्त व सक्षम कर्मचारी होना चाहिए। कर्मचारियों को वर्ष में एक-दो बार प्राथमिकतानुसार अग्निसुरक्षा के तहत प्रशिक्षण दिलाना चाहिए। प्रशिक्षण दक्ष प्रशिक्षक से तथा उचित मापदंडों के तहत कराना चाहिए।
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कर्मचारी कुशलता के साथ आग लगने की घटनाओं से सफलता पूर्वक निपट सकते हैं।
&करीब छह माह पूर्व उनके पीएमओ कार्याकाल के दौरान एनओसी के लिए अग्निशमन केन्द्र को आवेदन किया गया था, लेकिन पूरे भवन में काम नहीं होने के कारण एनओसी नहीं मिली।
सीएमएचओ डॉ. सम्पतराज नागर
& सरकार की ओर से एमओयू किया गया है, संवेदक कम्पनी के अधिकारियों से सम्पर्क कर अग्निसुरक्षा योजना की जानकारी ली जाएगी। आगजनी रोकने के लिए यहां पानी का हमेशा इंतजाम रहता है।
डॉ. बिहारीलाल मीणा, पीएमओ, जिला चिकित्सालय
रिपोर्ट – हंसराज शर्मा द्वारा
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