दलदल में फंस रहे पानी की तलाश में भटकते वन्यजीव
गर्मी आते ही पानी की किल्लत, वन विभाग नहीं ले रहा सुध
दलदल में फंस रहे पानी की तलाश में भटकते वन्यजीव
छबड़ा. वर्तमान में जलाशय रीत चुके हैं, वन्य प्राणी पानी की तलाश में भटकते हुए जंगल के आस-पास बने कुंए एवं झिरियों में प्यास बुझाने के जतन में फंस जाते हैं। अगर कोई राहगीर उन्हें देख ले तो उनकी जान बच जाती है नहीं तो उसी कुएं में तड़प-तड़प कर मर जाते हैं। वन विभाग ऐसे में कोई इंतजाम नहीं कर रहा हैं।
भाजपा देहात मण्डल अध्यक्ष अशोक गौड ने बताया कि रविवार को एक नील गाय सेमला गांव के तालाब में बनी झिरी में कीचड़ में फंस गई, इसे ग्रामीणों ने बड़ी मशक्कत से निकाला। सोमवार को पुन: एक नीलगाय फिर उसी दलदल में फंस गई। उसे भी ग्रामीणों ने निकाला। प्रतिदिन ऐसे ही वन्य जीव झिरियों में पानी की तलाश में उतर जाते हैं और उसी में फंस जाते हैं। वन विभाग को तो केवल पत्थर की ट्रॉलियों की तलाश रहती हैं। वन विभाग को या तो ऐसे जलस्रोतों से कीचड़ को खाली करवाना चाहिए या इनके चारों और बेरीकेट््स लगाना चाहिए। एक ऐसा ही वाक्या कुछ दिन पहले मवासाव्यास में हुआ था, जिसमें बहुत सी नीलगाय एक कुंए में फंस गई थी। अलीनगर (टूटीबरड़ी) के खेतों के कुओं में भी कई बार ऐसे वन्य जीव गिर जाते हैं, इन्हें ग्रामीण बड़ी मुश्किल से निकालते हैं या जिनका पता नहीं चलता वो उसी कुएं में अपने प्राण त्याग देते हैं। ऐसे में वन विभाग को वन्य जीवों के संरक्षण के लिए तथा उनके पेयजल के उचित इंतजाम करना चाहिए। पहले भी कई प्यासे मवेशी और वन्यजीव दलदल में फंस चुके
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