scriptInternational Women’s Day: डेजी ने यशोदा बन दिया कई बच्चों का नया जीवन | International Women's Day: Daisy gave new life of many children | Patrika News
बरेली

International Women’s Day: डेजी ने यशोदा बन दिया कई बच्चों का नया जीवन

डेजी ने बताया कि वह वकील बनना चाहती थी पर उनकी मां सुशीला बैंज मनलाल नर्स थी वह देखती थी कि उनके मरीजों का दुख दर्द कितने प्यार से उनकी मां अपना लेती थी।

बरेलीMar 08, 2020 / 09:21 am

jitendra verma

International Women's Day: डेजी ने यशोदा बन दिया कई बच्चों का नया जीवन

International Women’s Day: डेजी ने यशोदा बन दिया कई बच्चों का नया जीवन

बरेली। आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है और ये दिन हमे मौका देता है कि हम उन महिलाओं को सम्मान दे सकें जिन्होंने अपने जुनून और जज्बे के दम पर वो कर दिखाया जिससे वो समाज में एक मिसाल बन चुकी हैं। ऐसी ही एक मिसाल हैं जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड की इंचार्ज डेजी ई लाल जिन्होंने वार्ड में भर्ती होने वाले न जाने कितनों ही लावारिस बच्चों को एक मां की तरह ही प्यार कर उनकी जान बचाई। उन्होंने नारी निकेतन के बच्चों को अपना समझा और उनकी सेवा कर जान बचाई। इतना ही नहीं उन्होंने उस बच्चे की भी जान बचाई जिसे उसके अपनों ने मरने के लिए रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया था।
मां से मिली प्रेरणा
डेजी ने बताया कि वह वकील बनना चाहती थी पर उनकी मां सुशीला बैंज मनलाल नर्स थी वह देखती थी कि उनके मरीजों का दुख दर्द कितने प्यार से उनकी मां अपना लेती थी। ना जाने कितनी ही बार ढेर सारा खाना बनाकर अस्पताल ले जाती थी और गरीब मरीजों को देती थी फिर क्या था इंटर के बाद उन्होंने सोच लिया कि उन्हें भी नर्स बनना है तो उन्होंने लखनऊ के बलरामपुर नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लिया और 3 साल बाद उनकी पोस्टिंग स्टाफ नर्स के तौर पर आयुर्वेद कॉलेज टूरिया गंज में हो गई। वहां पर भी वह नर्सिंग स्टूडेंट पर हो रही जात्तियों पर हमेशा आवाज उठाती थी। उनकी जिंदगी तब बदली जब उनकी पोस्टिंग 2015 में बरेली के जिला अस्पताल में हुई उन दिनों वहां फीमेल मेडिकल वार्ड में नारी निकेतन की वह बच्चियां बहुत आती थी जो कुपोषित होती थी उस समय वहां एक बच्ची पूजा एडमिट हुई थी जिसे सीजर डिसऑर्डर (मानसिक समस्या) था उसके साथ ही अन्य कई लड़कियां थी जो किसी ना किसी समस्या से जूझ रही थी उनके लिए रोज पराठे लेकर आती थी और उनकी साफ सफाई पर बहुत ध्यान देती थी धीरे-धीरे वह बच्चियां ठीक होकर नारी निकेतन भेज दी गई।
International Women's Day: डेजी ने यशोदा बन दिया कई बच्चों का नया जीवन
कई बच्चों की बचाई जान

डेजी ने बताया कि 2016 अक्टूबर में प्रेम नगर थाना से एक बच्चा एनआईसीयू लाया गया। पुलिस को वह बच्चा दो पॉलिथीन में बंद मिला था जिसके बारे में वहां खेल रहे बच्चों ने बताया था वह नवजात बच्चा मात्र एक दिन का था और उसकी नाल नहीं कटी हुई थी बच्चा पूरा नीला पड़ गया था क्योंकि पॉलिथीन में ऑक्सीजन नहीं जा रही थी वही इंटरनल हेड इंजरी भी थी उस बच्चे की एक माह तक अपने बच्चे ही की तरह खूब सेवा की और उसका नाम झुमरू रखा। झुमरू के लिए कपड़े खाना और जहां तक उसकी मालिश भी करती थी। डेजी ने बताया कि सर में चोट होने के कारण जिला अस्पताल में ही उसका एक ऑपरेशन भी कराया गया था बाद में वह बच्चा चाइल्ड केयर में भेज दिया गया। जून 2017 में एक ऐसे बच्चे की जान बचाई जिसे चलती हुई ट्रेन से पटरियों पर फेंक दिया था उस बच्चे के बदन में एक भी कपड़ा नहीं था और पत्थर पर गिरे होने के कारण उसके बदन पर छाले पड़ गए थे उस बच्चे का 10 दिन तक इलाज किया गया फिर पुलिस वालों ने उसे चाइल्ड केयर भेज दिया।
समाजसेवा में लगाया जीवन

डेजी ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं सौरभ और अक्षय जो कि अब अपने पैरों पर खड़े हैं पति रिटायर इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार की रजामंदी से अब उनका पूरा जीवन समाज और बच्चों के लिए ही समर्पित है डेजी खुद डायबिटीज मरीज हैं इसलिए अगर उनके किसी मरीज को खून की आवश्यकता होती है तो वह अपने पति या अन्य माध्यम से उस बच्चे के लिए खून दिलाने से भी नहीं हिचकती हैं। डेजी की इस बहादुरी पर उसे सलाम है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो