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बरेली

सांसद छत्रपाल को मिले संतोष गंगवार से 1857 वोट ज्यादा, 2.20 लाख वोट पाकर जीते थे, 5.32 लाख मिले तो हार गये ऐरन

बिरादरी के कुछ नेताओं की बेरुखी, पार्टी में अंतर्विरोधों और विषम परिस्थितियों के बावजूद भाजपा के बरेली से सांसद छत्रपाल गंगवार सिकंदर बनकर उभरे हैं। 2019 के मुकाबले छत्रपाल गंगवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से 1857 वोट ज्यादा मिले हैं, लेकिन जीत का अंतर उनके मुकाबले काफी कम रहा। 2019 में संतोष गंगवार को 565270 वोट मिले थे और उन्होंने 167282 वोटों से जीत दर्ज की थी।

बरेलीJun 05, 2024 / 04:53 pm

Avanish Pandey

छत्रपाल सिंह गंगवार,संतोष गंगवार और प्रवीण सिंह एरोन ( फाइल फोटो )

बरेली। बिरादरी के कुछ नेताओं की बेरुखी, पार्टी में अंतर्विरोधों और विषम परिस्थितियों के बावजूद भाजपा के बरेली से सांसद छत्रपाल गंगवार सिकंदर बनकर उभरे हैं। 2019 के मुकाबले छत्रपाल गंगवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार से 1857 वोट ज्यादा मिले हैं, लेकिन जीत का अंतर उनके मुकाबले काफी कम रहा। 2019 में संतोष गंगवार को 565270 वोट मिले थे और उन्होंने 167282 वोटों से जीत दर्ज की थी। 2024 में भाजपा के ही टिकट पर छत्रपाल गंगवार को 567127 वोट मिले हैं। उनकी जीत का अंतर 34804 वोटों का रहा है।
मेयर का चुनावी मैनेजमेंट ही था कि मुस्लिम इलाकों में भी घटा मतदान प्रतिशत

मेयर डा. उमेश गौतम का चुनावी मैनेजमेंट, छत्रपाल गंगवार और उनकी कोर कमेटी, कार्यकर्ताओं की मेहनत के दम पर उन्हें सफलता मिली। मेयर डा. उमेश गौतम के चुनावी मैनेजमेंट का ही असर था कि सपा को मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में कम वोट पड़े। वहां मतदान का प्रतिशत भी कम रहा। मेयर की कैंपेनिंग और चुनावी बैठकें जिन मुस्लिम पाकेट वाले इलाकों में हुईं। वहां काफी हद तक मुस्लिमों ने वोट ही नहीं डाले। उन्होंने कहा कि वह भाजपा को वोट नहीं कर पायेंगे, लेकिन मेयर साहब आप आये हैं तो हम सपा को भी वोट ही नहीं डालेंगे। इसका सीधा फायदा भाजपा के प्रत्याशी को मिला। पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के समर्थकों ने पहले काफी विरोध किया, हालांकि बाद में उन्होंने खुलकर विरोध करना बंद कर दिया, लेकिन कुछ नेताओं ने भोजीपुरा और नवाबगंज में भाजपा के प्रत्याशी छत्रपाल गंगवार के खिलाफ जमकर हवा बनाई। इसी वजह से भाजपा भोजीपुर और नवाबगंज विधानसभा में हार गई।
संगठन के नेता भी नहीं आये चुनाव लड़ाने, चंदा देने को भी कर दिया गया मना
बरेली लोकसभा की चुनावी डगर काफी मुश्किल थी। हालात ये थे कि भाजपा संगठन के कुछ बड़े पदाधिकारियों, संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को छत्रपाल गंगवार का चुनाव लड़ाने से मना कर दिया गया था। यही वजह रही कि छत्रपाल गंगवार की चुनावी कैंपेनिंग में संगठन के काफी कम नेता दिखे। चुनावी चंदे भी शहर के उद्योगपतियों और व्यापारियों ने अपने हाथ खींच लिये। पहली बार ऐसा हुआ कि भाजपा के बरेली लोकसभा प्रत्याशी को चुनावी खर्चे में काफी कम लोगों ने सहयोग किया। बड़े व्यापारी, कारोबारी और उद्योगपति किसी के प्रभाव में आकर बरेली लोकसभा सीट को हारा मानकर चल रहे थे। लेकिन बरेली की सीट ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। बरेली की राजनीतिक साजिश के कीचड़ को चीरकर कमल खिल गया, भितरघात करने वाले नेता बेनकाब हो गये।
2009 में आधे से भी कम वोट पाकर जीत गए थे प्रवीन सिंह ऐरन
2009 में प्रवीन सिंह ऐरन ने कांग्रेस के टिकट पर बरेली लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार की लगातार जीत का तिलिस्म तोड़ा था। प्रवीन सिंह ऐरन को 2009 में 220976, संतोष गंगवार को 211638 वोट मिले थे। इस्लाम साबिर को 181996 और भगवत सरन गंगवार को 73544 वोट मिले थे। प्रवीन सिंह ऐरन ने संतोष गंगवार को करीब 9338 वोटों से चुनाव हरा दिया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रवीन सिंह ऐरन को 532323 वोट मिले, लेकिन वह 34804 वोटों से भाजपा के छत्रपाल गंगवार से चुनाव हार गये।

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