हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। कई देशों ने इस रोग के चलते ाारत के दुग्ध उत्पादों व मांस को अपने यहां प्रतिबंधित किया हुआ है। हालांकि केन्द्र सरकार देश में सत्तर प्रतिशत तक इस बीमारी पर काबू पाने का दावा कर रही है।
पिछले दस साल मेंं प्रदेश में ३०० से अधिक स्थानों पर २८ हजार से ज्यादा पशुओं को इस बीमारी ने जकड़ा। २०१२-१४ तक इसका प्रकोप देखा गया। इस बीच वर्ष २०१४ में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की मदद से इसकी रोकथाम के लिए टीकाकरण की शुरूआत की। हर साल दो बार टीके लगाए जाते है। जिसमें पिछले साल १ करोड़ ५५ लाख पशुओं का टीकाकरण हुआ। दावा किया जा रहा है कि वर्ष २०३० तक देश पूर्णतया इस वायरस से मुक्त हो जाएगा।
ये रोग पशुओं में अत्यन्त तीव्रता से फैलता है। इससे उनमें १०५ डिग्री से १०७ डिग्री सेल्सियस तक तेज बुखार, मुंह, मसूड़े व जीभ पर छाले लगातार लार का गिरना, पैरों में खुरों के बीच छाले होना, इनके ज मों में कीड़े पडऩा लक्षण दिखने लगते है। इससे
कई पशुओं की मौत भी हो जाती है।
ये अत्यंत संक्रामक रोग है। इसकी रोकथाम के प्रयास जारी है। एक सितंबर से टीकाकरण अभियान पुन शुरू करेंगे। इसबार एककरोड ८० लाख पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य है। पाक से सटे इलाकों में यह रोग ज्यादा है।
— डॉ भवानी सिंह राठौड़, अतिरिक्त निदेशक स्वास्थ्य, पशुपालन विभाग
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