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बाड़मेर

आधा सत्र बीता, कॉलेज में दो विषयों की ही खुलती हैं किताबें

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बाड़मेरDec 13, 2018 / 06:55 pm

ओमप्रकाश माली

Half year passed, books open only two topics

Half year passed, books open only two topics

दो विषय आचार्यों के भरोसे 162 विद्यार्थियों का भविष्य
आधा सत्र बीता, कॉलेज में दो विषयों की ही खुलती हैं किताबें
50 लाख स्वीकृत फिर भी शुरू नहीं हुआ भवन निर्माण
शिव . उपखंड मुख्यालय स्थित महाविद्यालय को आधा सत्र बीत जाने के बावजूद स्टाफ नहीं मिल पाया है। वहीं भवन निर्माण के लिए भी जिला कलक्टर ने खनन विभाग के माध्यम से 50 लाख रुपए की स्वीकृति तो दे दी, लेकिन अभी तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में यहां अध्ययनरत 162 विद्यार्थियों का अध्ययन प्रभावित हो रहा है। गौरतलब है कि तत्कालीन सरकार ने 7 मार्च को महाविद्यालय की स्वीकृति के आदेश जारी किए। इससे ग्रमीणों व विद्यार्थियों ने खुशी जाहिर की। लेकिन पद रिक्तता के कारण उनके अरमानों पर पानी फिर रहा है। महाविद्यालय की सुचारू संचालन के लिए एक प्राचार्य व 7 आचार्यों के साथ 21 पद स्वीकृत हुए थे, लेकिन यहां केवल तीन आचार्य ही कार्यरत हैं। इनमें से दो राजनीति विज्ञान व एक इतिहास के हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को दो विषयों का ही फायदा मिल पाता है।
परीक्षा की चिंता
महाविद्यालय में पद रिक्तता के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं प्रथम वर्ष की परीक्षा को लेकर भी चिंता सता रही है।
– जूजांरसिंह, विद्यार्थी
सूचना भिजवाते हैं
&रिक्त पदों की सूचना समय-समय पर उच्च अधिकारियों को भिजवाई जा रही है। उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बेहतरीन शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है।
– डॉ. नीम्बसिंह, कार्यवाहक प्राचार्य
ये विषय हैं स्वीकृत
महाविद्यालय में इतिहास, राजनीतिक विज्ञान, हिंदी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य, अर्थशास्त्र, भूगोल, उर्दू वैकल्पिक विषयों के रूप में स्वीकृत हैं। वहीं पद रिक्तता के कारण मात्र इतिहास, राजनीति विज्ञान व हिंदी साहित्य की ही कालांश लग रही है। इसमें भी हिंदी साहित्य का आचार्य कार्यरत नहीं है।
कस्बे से 2 किलोमीटर दूर है आवंटित जमीन
महाविद्यालय भवन निर्माण के लिए कॉलेज प्रशासन की ओर से पुलिस थाने के पीछे की जमीन आवंटन के लिए कागजात जिला कलक्टर को भेजे थे, लेकिन स्थानीय प्रशासन की ओर से कस्बे से 2 किलोमीटर दूर कोटड़ा सड़क पर जमीन आवंटन की है। लेकिन वहां भी निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है।
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