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बाड़मेर

Pakistan से टिड्डियों के नए दल की Rajasthan एन्ट्री, सीमावर्ती गांवों के किसानों की बढ़ी टेंशन

Locusts from Pakistan entered Rajasthan, Border Villages Farmers in Tension: पाकिस्तान से टिड्डियों के नए दल की राजस्थान एन्ट्री, सीमावर्ती गांवों के किसानों की बढ़ी टेंशन

बाड़मेरJul 08, 2019 / 03:55 pm

Nakul Devarshi

Locusts from Pakistan entered Rajasthan, Farmers in tension
गडरारोड (बाड़मेर)।

राजस्थान के बाड़मेर जिले के सीमावर्ती गांवों में पाकिस्तान से टिड्डी दल का आना जारी है। शनिवार की रात सीमावर्ती गांवों में हजारों की तादाद में टिड्डी पहुंचने की खबर सामने आई है। इससे कई गांवों में किसानों व आमजन की चिंताएं बढ़ गई है।
इधर, टिड्डी नियंत्रण को लेकर टीमें कीटनाशक का छिड़काव कर रही हैं। शनिवार रात गडरारोड तहसील के अमीन का पार, ख़बड़ाला, सुंदरा, बोई, भूणी, रामडोकर, जुम्मा फकीर की बस्ती, भभूते की ढाणी, मापूरी,तामलोर, जीने भील की बस्ती, बूठिया, झेलून, रोहिड़ी,पांचला आदि गांवों में पाकिस्तान से टिड्डी दल पहुंचे।
अमीन का पार के आदम खान ने बताया कि रविवार को सैकड़ों टिड्डियां खेत में बैठी हुई थी। कंट्रोल रूम में सूचना देने पर लोकस्ट विभाग की टीम आई और कीटनाशक का छिड़काव किया। टिड्डियों की तादाद ज्यादा होने पर दिक्कत आ रही है।
एक साथ असंख्य टिड्डियों को देख ग्रामीणों और किसानों में भय है। सिंचाई करने वाले किसानों के रातों की नींद उड़ गई है। किसान मजीज खान ने बताया कि बांडासर में खड़ी बाजरे की फसल पर टिड्डी दल बैठने से फसल चट कर जाने का डर है।
पाकिस्तान में भी मचाई तबाही
टिड्डी दल ने पाकिस्तान में भी भारी तबाही मचाई है। वहां ब्लूचिस्तान, सिंध और पंजाब प्रांत में कई हेक्टेयर में कपास, चावल व ज्वार की फसल नष्ट हो चुकी है। पाकिस्तान के परेशान किसान सेना लगाने की मांग कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही सिंध विधानसभा ने तो टिड्डियों से निपटने के लिए विशेष बजट तक पास किया है।
उधर पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने पाकिस्तान सरकार से हस्तेक्षप की मांग करते हुए सिंध व ब्लूचिस्तान दोनों को एक-एक अरब डॉलर देने को कहा है। हालांकि पाक सरकार ने टिडिड्यों पर दो विमानों से स्प्रे भी शुरू कर दिया है लेकिन वे बेकाबू हो गई है।

अब तक 4500 हेक्टेयर में नियंत्रण
भारत के टिड्डी नियंत्रण संगठन ने अप्रेल से लेकर अब तक जैसलमेर में 4500 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर नियंत्रण कार्यक्रम चलाया है। फायरिंग रेंज के पास भादरिया, हमीद जेसुराणा, धानेली के पास तेजसी जैसे कई गांव ढाणियों में टिड्ड्यिों के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है। पाकिस्तान से लगातार टिड्डी बॉर्डर पार करके भारत की ओर आ रही है।
टिड्डियों के लिए मौसम अनुकूल
मानसून के कारण भारत में अब नमी युक्त मौसम होने और तापमान कम होने से टिड्डियों के लिए अनुकूल मौसम हो गया है और वे अण्डे दे रही है। वैसे श्रीगंगानगर से बाड़मेर तक बॉर्डर के उस पार सिंध के छह जिलों में टिड्डी का प्रकोप है। इसमें बहावलपुर और मीरपुर खास प्रमुख है। पाकिस्तान का अब केवल खैबर पख्तूनवा प्रांत ही टिड्डी से सुरक्षित बचा है।
संयुक्त राष्ट्र ने फिर चेताया
संयुक्त राष्ट्र संगठन से सम्बद्ध विश्व कृषि एवं खाद्य संगठन की पिछले दिनों पांच दिवसीय 14वीं एग्जीक्यूटिव कमेटी मीटिंग में विश्व के पचास से अधिक देशों के टिड्डी अधिकारियों ने हिस्सा लिया। भारत की तरफ से भी अधिकारी पहुंचे। बैठक में सऊदी अरब, ईरान व पाकिस्तान में टिड्डी फैलने पर चिंता जताई गई। साथ ही मानसून को देखते हुए भारत को अपनी तैयारी पुख्ता रखने की सलाह दी गई है।
तीसरा बड़ा टिड्डी हमला
इससे पहले भारतीय उपमहाद्वीप में 1950, 1960 और 1990 के दशक में बड़े टिड्डी हमले हुए हैं। अंतिम टिड्डी हमला 1993 में हुआ था। वर्तमान में पाकिस्तान का 3 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जिसमें ब्लूचिस्तान का चोलिस्तान रेगिस्तान, थार मरुस्थल, उमरकोट, नारा मरुस्थल और सुकर क्षेत्र शामिल है।
टिड्डी का आउटब्रेक अफ्रीका के सूड़ान व इरिट्रिया से जनवरी से शुरू हुआ था। इसके बाद वह यमन व सऊदी अरब पहुंची। यहां से ईरान को संक्रमित कर दिया। वहां 4 लाख वर्ग किलोमीटर में टिड्डी फैल गई है। टिड्डी के लिए सबसे अनुकूल मौसम रेगिस्तान के साथ नमी है।

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