scriptएक था चिखल्दा… सरदार सरोवर बांध की डूब में तबाह हो गया 750 मकानों का गांव | Chikhalda village drowned in the sinking of Sardar Sarovar Dam | Patrika News
बड़वानी

एक था चिखल्दा… सरदार सरोवर बांध की डूब में तबाह हो गया 750 मकानों का गांव

अब सिर्फ दिख रही घरों की छतें, पानी से संघर्ष करती गांधी प्रतिमा, सरदार सरोवर बांध की डूब में तबाह हो गया 750 मकानों का गांव, नबआं का अरोप एशिया के पहले किसान के जन्मस्थान की जलहत्या

बड़वानीSep 20, 2019 / 10:19 am

मनीष अरोड़ा

Chikhalda village drowned in the sinking of Sardar Sarovar Dam

Chikhalda village drowned in the sinking of Sardar Sarovar Dam

बड़वानी. सरदार सरोवर बांध की डूब में मप्र के 192 गांव और एक नगर अब तबाही की कगार पर है। कई जीते जागते गांव आज पानी में डूबे हुए है या वीरान पड़े हुए है। एक माह पहले जहां चहल-पहल नजर आ रही थी, वहां अब पानी के सिवा कुछ नहीं दिख रहा। ऐसा ही एक गांव बड़वानी जिले की सीमा पर नर्मदा पार धार जिले का चिखल्दा भी है। यहां सिर्फ पानी में डूबी घरों की छतें नजर आ रही है। गांव में चारों ओर पानी और पानी से संघर्ष करती गांधी प्रतिमा ही बची हुई है।
पुरातत्व शास्त्रों के शोध के अनुसार एशिया का पहला किसान ग्राम चिखल्दा में ही पैदा हुआ था। चिखल्दा से दो किमी दूरी पर पुरातत्व विभाग को हजारों साल पुराने मिट्टी के बर्तन, सामान भी मिले थे। मोहनजोदाड़ो, हड़प्पा सभ्यता के आसपास ही नर्मदा घाटी की सभ्यता भी पनपी थी। इसके कई सबूत भी पुरातत्व विभाग को चिखल्दा में मिले थे। नर्मदा बचाओ नेत्री मेधा पाटकर ने बताया कि नर्मदा घाटी दुनिया की एकमात्र घाटी जिसके नीचे अशम युग से आज तक का मानवीय इतिहास छुपा है। उसे भी जलमग्न किया गया जिसे 100 वर्षों तक खुदाई से निकालने का रोमिला थापर का दावा रहा। आज ये पुरातत्व विषय का गांव जलमग्न हो चुका है। सरदार सरोवर बांध ने एशिया के पहले किसान की जन्मस्थली की जल हत्या कर दी।
घरों की छतों पर सिर्फ श्वान, बिल्लियां
कुछ समय पहले तक ही चिखल्दा एक चहल-पहल से भरा हुआ गांव हुआ करता था। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां 3500 की आबादी थी, जो वर्तमान में करीब 5 हजार हो चुकी थी। यहां करीब 750 मकान थे, एनवीडीए के सर्वे में भी यहां 708 मकान बताए गए है। यहां की आबादी में 50 प्रतिशत हिंदू और 50 प्रतिशत मुस्लिम होने के बाद भी एक शांतिप्रिय गांव रहा है। चिखल्दा में 36 धार्मिक स्थल बसे थे। इसमें 10वीं, 12वीं सदी के मंदिर नीलकंठेश्वर, नरसिंह श्री राम आदि के। मस्जिद, पीर दरगाह जमात खाना भी एक जैन मंदिर रहा। अब यहां सिर्फ पानी में डूबे हुए घरों की छतों पर श्वान और बिल्लियां नजर आ रही है। ग्राम के वाहिद मंसूरी ने इन मूक पशुओं को लेकर धार जिला प्रशासन को भी अवगत कराया, लेकिन कोई रेस्क्यू अब तक नहीं किया गया।
डूब क्षेत्र में लगे नोडल अधिकारी तत्काल देंगे अपनी रिपोर्ट
सरदार सरोवर की बैक वाटर से डूब प्रभावित ग्रामों के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों ने डूब प्रभावितों को सुरक्षित रूप से डूब की सीमा से बाहर भेजने में अच्छा मार्गदर्शन रहवासियों को प्रदान किया है। इससे जिले में व्यवस्थित रूप से डूब प्रभावितों के विस्थापन का कार्य संपन्न कराया जा सका है। अब नियुक्त नोडल अधिकारी तत्काल ये रिपोर्ट दें कि सर्वे सूची के अतिरिक्त उनके प्रभार के क्षेत्र में कौन से नए मकान या खेती की जमीन, डूबी है या टापू बनने की स्थिति में आई है। इससे इसका भी उचित निराकरण कराया जा सके। कलेक्टर अमित तोमर ने गुरुवार को जिला मुख्यालय पर नियुक्त नोडल अधिकारियों की बैठक में ये बातें कही।
कलेक्टर ने सभी नियुक्त नोडल अधिकारियों को बताया कि वे अपने दल के इंजीनियर के साथ तत्काल अपने प्रभार के डूब क्षेत्र का दौराकर पुन: देखेंगे कि कौन से ऐसे मकान या कृषि की भूमि आंशिक या पूरी डूब गई है, जिन्हें डूब की सीमा से बाहर बताई गई थी। साथ ही ऐसे कितने मकान व खेत है जिनका पहुंच मार्ग कटने से वे टापू में परिवर्तित हो गए है। ऐसे सभी प्रकरणों की रिपोर्ट जिला कार्यालय में देंगे। इससे इन समस्याओं का भी निवारण क्षेत्र की परिस्थिति अनुसार कराई जा सके। बैठक में कलेक्टर ने नोडल अधिकारियों को पुन: स्मरण कराया कि इस सर्वे के दौरान उन्हीं घरों या जमीन का सर्वे करना है, जो पूर्व में सर्वे के बाहर थी एवं आकस्मिक रूप से पानी में डूबी या टापू बनी है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो