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बड़वानी

दस्तक अभियान से खुली ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल

हजारों बच्चे मिले बीमार, सैकड़ों कुपोषण, खून की कमी का शिकार, बीमार बच्चों का अब जिला अस्पताल में हो रहा इलाज, कुपोषित एनआरसी मेंं भर्ती, रोजाना 60 से 70 बच्चों को चढ़ाया जा रहा खून, हालत में हो रहा सुधार

बड़वानीJul 26, 2019 / 10:40 am

मनीष अरोड़ा

dastak abhiyan

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बड़वानी. स्वास्थ्य विभाग अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं का लाख दावा कर ले, लेकिन हकीकत किसी सी छुपी नहीं है। ग्रामीण अंचलों में बिना डॉक्टर, स्टाफ के स्वास्थ्य केंद्र, गांवों में इलाज करते अपंजीकृत डॉक्टर, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिला मुख्यालय तक भटकते मरीज रोजाना देखे जा सकते है। एक माह चले दस्तक अभियान में एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुलती नजर आ रही है। जिले में हजारों बच्चे कुपोषण, खून की कमी का शिकार, गंभीर बीमारियों से ग्रसित मिले है। अब प्रशासन इन बच्चों के इलाज की व्यवस्था में लगा हुआ है।
केंद्र शासन द्वारा दस्तक अभियान की शुरुआत की गई है। जिले में 10 जून से 20 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाया गया। अभियान के तहत घर-घर जाकर टीकाकरण करना, कुपोषित बच्चों, एनिमिया से पीडि़त, गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों को चिह्नित किया गया है। इस दौरान जिलेभर में 1 लाख 87 हजार 958 बच्चों की जांच की गई। सबसे ज्यादा 7 हजार बच्चे खून की कमी (एनिमिया) से पीडि़त और कुपोषण का शिकार पाए गए। वहीं, 885 बच्चे गंभीर एनिमिया से पीडि़त मिले। अभियान के दौरान सामने आए परिणामों को देखते हुए अब दस्तक अभियान को 10 दिन के लिए ओर बढ़ाया गया है। इस दौरान बीमार बच्चों की संख्या बढऩे की संभावना है।
जिला अस्पताल में बीमार बच्चों की भीड़
गंभीर एनिमिया से पीडि़त बच्चों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। पिछले एक माह में 491 बच्चे गंभीर एनिमिया से पीडि़त जिला अस्पताल में लाए गए हैं। इसमें से 471 को ब्लड चढ़ाया गया। अभी भी रोजाना जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में 60 से 70 बच्चों को रक्त चढ़ाए जाने का काम चल रहा है। जिसके चलते ब्लड बैंक में भी ब्लड यूनिट की कमी होने लगी है। उल्लेखनीय है कि सेंधवा में भी एनिमिया ग्रसित बच्चों का इलाज चल रहा है। यहां कुछ दिन पूर्व एक बच्चे को ब्लड चढ़ाए जाने के बाद हुई मौत का मामला अभी भी गर्म है। अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर जनप्रतिनिधियों ने सवाल भी उठाए है। इस मामले में सेंधवा के बीएमओ को वहां से हटा दिया गया है।
बिना इलाज किए ले जा रहे बच्चों को
दस्तक अभियान के दौरान स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने 3151 कुपोषित बच्चों को चिह्नित किया था। जिन्हें इलाज के लिए बड़वानी और सेंधवा के बाल शक्ति केंद्र में भेजा गया था। जिला अस्पताल के बाल शक्ति केंद्र 20 बेड का है। वर्तमान में यहां 28 कुपोषित बच्चे भर्ती है। वहीं, रोजाना 50 बच्चों को यहां इलाज के लिए लाया जा रहा है, लेकिन इन बच्चों के परिजन सिर्फ डॉक्टर को दिखाकर कोई न कोई कारण बताकर बच्चों को बिना भर्ती किए वापस ले जा रहे है। उल्लेखनीय है कि गंभीर कुपोषित बच्चे को 15 दिन बाल शक्ति केंद्र में भर्ती कराया जाना आवश्यक है, ताकि उसका कुपोषण दूर हो सके। अब सवाल ये उठता है कि बिना इलाज और पोषण आहर के इन बच्चों का कुपोषण कैसे दूर किया जाएगा।
बेहतर इलाज की कर रहे व्यवस्था
दस्तक अभियान के दौरान मिले गंभीर बीमार बच्चों को इलाज के लिए अस्पतालों में भेजा जा रहा है। हमारी कोशिश है कि बच्चों के बेहतर इलाज की व्यवस्था हो। एनिमिया से ग्रसित बच्चों को ब्लड चढ़ाया जा रहा है। ये अभियान 30 जुलाई तक जारी रहेगा।
डॉ. कीर्तिसिंह चौहान, दस्तक अभियान नोडल अधिकारी
फैक्ट फाइल…
187958 बच्चों की हुई जांच
3151 बच्चे कुपोषण का शिकार
4077 बच्चे खून की कमी का शिकार
885 बच्चे गंभीर एनिमिया से पीडि़त
576 कुपोषित बच्चों का बाल शक्ति में हुआ उपचार
855 स्पेसिस रोग से पीडि़त
569 बच्चे पेन्यूमोनिया से पीडि़त
339 बच्चे जन्मजात विकृति के मिले

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